यह इन्द्राणी साधना सरल है। यह मात्र ११ दिन की साधना है। इस अप्सरा की साधना का दुरूपयोग न करें। इस अप्सरा को बिनती या प्रार्थना करके प्रसन्न किया जा सकता है। मंत्र के उचारण की शक्ति से इसे अपने समख्य अपस्थित किया जा सकता है। यह ११ दिन की साधना शुक्रबार रात्रि दस बजे के पश्चात् शुरु की जा सकती है। इस साधना से बशीकरण सम्भब है। शत्रु भी इस साधना से बशीभूत हो जाता है। इसमें ब्रह्माचर्य का पालन और सात्विकता का ध्यान रखें। साधना सम्पूर्ण होने तक एकान्त में धरती पर ही सोयें। साधना स्थल पर इत्र छिडक दें, स्थान सुगन्ध से परिपूर्ण हो। गुरू से रख्या मंत्र लेकर साधना करें।
सामग्री : मंत्र जप हेतु माला, यंत्र, चमेली का तेल , सुगन्ध, गुलाब फूल, सफेद बस्त्र।
मुख पशिचम की और रखें, १ माला गुरु मंत्र जपें ।लकडी के चौकी पर सफेद कपडा बिछा कर यंत्र स्थापित करें, चमेली के तेल का दीपक जलायें। थोडा तेल यंत्र पर छिदक दें। मन में कोई दुर्भाब न रखें।
मंत्र : ॐ ह्रीं इन्द्राणी अप्सरा सिद्धि ह्रीं फट्।।
इस मंत्र की २१ माला प्रतिदिन ११ दिन तक जाप करें। अप्सरा के प्रत्यख्य होने पर संयम बनायें रखें और मिठाई आदि अर्पण करें। अन्त में प्रसन्न चित्त से बरदान मांग लें।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या