कामबेगा या कामरूपा अप्सरा साधना :
इस साधना में पुर्ण रूप से आपको ब्रह्माचर्य का पालन करना है। मानसिक और शारीरिक शुधता के साथ तामसिक भोजन भी नहीं करना है।
आपको तालाब या नदी या निर्जन स्थान पर मिष्ठान और मदिरा रखते हुए कामबेगा अप्सरा का आबाहन करना है और बोलना है कि कृपा कर इसे ग्रहण करें, ये कार्य आपको प्रतिदिन करना है और बापस पीछे मुड कर नहीं देखना है।
प्रतिदिन साधना के बाद ख्यमा याचना करना है और बोलना है कि कृपा करके आप मुझ से अबश्य सिद्ध हों।
सबसे पहले साधना की जगह को सुबह ही साफ कर लें और सभी सामग्री का प्रबन्ध कर ले और साधना के दौरान सभी बस्तुओं को अपने साथ ही रखें।
यह साधना आप रात को १० बजे से शुरू करें, लेकिन १२ बजे से पहले। सबसे पहले नित्य कर्मों से पूर्ण हो जाए, फिर नहा लें, पर नहाने से पहले कुछ मात्रा में गुलाब का इत्र उस पानी में मिला लें, फिर सीधे साधना कख्य में आ जाए और सुन्दर बस्त्र धारण करें और फिर आसन पर बैठ जाये और बगलामुखी कबच धारण कर लें, दीपक जला लें, फिर गणेश मंत्र का १८ बार उचारण करें।
मंत्र : गं गं बिकट गणेशाय नम: ।।
फिर उसके बाद अगर आपके गुरू है तो उनका ध्यान कर एक माला गुरु मंत्र जाप कर लें। अगर गुरु ना हो तो इष्ट का ध्यान कर मंत्र जाप कर लें। एक आम का बाजोट या चौकी लें, उस पर लाल या गुलाबी रंग का बस्त्र बिछा लें और उस पर एक नया स्टील का पात्र ले कर उसे पूरा गुलाब के पुष्पों से ढक दें, साथ ही साथ स्फटिक की माला और कामबेगा ताबीज उस स्टील के पात्र पर रख दें और मन में उनका ध्यान करें और पूर्ण रूप से प्रत्यख्य होने का निबेदन करें।
दिशा : पूजा के समय पूर्ब या उत्तर की तरफ आपका मुख होना चाहिए।
दिन : कोई भी सिद्ध योग नख्यत्र या पूर्णिमा से साधना की शुरुआत करें।
कपडा : केबल लाल या गुलाबी ही होना चाहिए।
माला : संस्कारित स्फटिक की माला होनी चाहिए।
मिष्ठान : केसर मिश्रित खीर या मेबा का मिष्ठान या बादाम का हलबा या कमलगट्टे का हलबा। इनमें कोई भी एक का प्रयोग करना हैं, प्रतिदिन जब तक साधना चल रही हैं।
दीपक : अगर दिया घी का हो तो दायें तरफ, अगर तेल का हो तो बायें तरफ होना चाहिए, दीपक का मुख अपनी तरफ होना चाहिए, अगर किसी कारण बश दिया बुझ जाए तो फिर से दीप जला दें। कामबेगा अप्सरा का मंत्र का उचारण करते हुए मंत्र जाप माला से शुरू कर दें।
मदिरा : मदिरा आपको प्रतिदिन एक छोटे से पात्र में उस बाजोट के दायें तरफ रखनी हैं।
प्रत्येक दिन आपको थोडा थोडा समर्पित मिष्ठान और मदिरा का सेबन करना है, प्रसाद के रूप मंं और बाकी बचा हुआ किसी निर्जन स्थान या किसी नदी, तालाब पर रख कर आ जाना है।
पुष्प : २ लाल गुलाब का फूल प्रतिदिन।
इत्र : गुलाब या हिना का ही होना चाहिए।
आप चाहें तो साथ में अगरबती भी लगा सकते है। गुलाब या हिना के सुगंध बाला।
साधना अगर आप २१ दिन की करते हैं तो हर रोज आपको ५१ माला मंत्र जप करना है या फिर आप ३१ दिन की साधना करते हैं तो हर रोज आपको ३३ माला मंत्र जप अबश्य करना है।
मंत्र : क्लीं कलीं कामबेगा कामेछी अप्सरा आगछ आगछ स्वाहा।
बिशेष बात : अगर आप लाल रंग का बस्त्र धारण करते हैं तो आसन भी लाल ही होना चाहिए साथ ही बाजोट पर बिछा बस्त्र भी लाल होना चाहिए या गुलाबी रंग का बस्त्र धारण करते हैं तो आसन भी गुलाबी ही होना चाहिए , साथ ही बाजोट पर बिछा बस्त्र भी गुलाबी होना चाहिए।
इस साधना को कोई भी पुरूष कर सकता है , जो बिबाहित हो या न हो। यह अप्सरा प्रसन्न होने के पश्चात् साधक को कामकला से परिपूर्ण कर देती है। काम तृप्ति हेतु कामबेगा अप्सरा की साधना उत्तम कही गई है।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या