स्वर्ण मालिनी अप्सरा साधना :
यह अप्सरा अपने नाम के अनुरूप ही सोने जैसी काया बाली है। यह गुप्त अप्सरा स्वर्ण मालिनी के नाम से प्राचीन तंत्र शात्रों में बर्णित है। इस अप्सरा का शरीर और चेहरा स्वर्ण जैसी कांति से चमकदार होता है। स्वर्ण के सुन्दर आभूषण इसके शरीर पर सुशोभित रहते हैं। प्रसन्न होने पर यह साधक को स्वर्णाभूषण भी प्रदान करती है, बह स्वर्णादि सामग्री सदैब संभाल कर रखें।
इसकी साधना अत्यन्त सरल है, इसमें अति बिशिष्ट किसी नियम की आबश्यकता नहीं पडती। साधना हेतु अप्सरा का मुख्य मंत्र इस प्रकार है-
मंत्र : ॐ श्रीं स्वर्णमालिनी कनकप्रिये श्रीं हुं फट्।।
इस मंत्र का प्रतिदिन हकीक की माला से २१ माला जाप करें। गुरुबार के दिन ही यह साधना प्रारम्भ करें। यह साधना शुरू करने के तीन दिन पहले से ही सात्विक भोजन ब शुध बिहार रखें। मिथ्या बचन न बोलें। महादेब का पूजन करते रहें, तत्पशाचत ही यह स्वर्ण मालिनी अप्सरा साधना शुरू करें। यह साधना गुप्त रखे, किसी को भी न बतायें। यह अप्सरा अत्यंन्त कोमल होती है। यदि यह साधना गोपनीय न रहे, तो सिद्धि मिलना असम्भब है। इस साधना का रहस्य ब गोपनीयता स्वयं तक ही सीमित रखें। तन और मन से शुध रहकर ही यह साधना करें। किसी भी प्रकार तामसिक बृतियों का त्याग करें और श्वेत रंग का प्रयोग अधिकाधिक करें। साधना काल मंप प्रतिदिन यदि किसी षोडषी किशोरी को सफेद बस्त्र और सफेद मिठाई देकर प्रसन्न करें, तो उत्तम है।
सात दिबस तक यह साधना ब मंत्र जप निरन्तर करें। स्वर्ण माला प्रत्यख्य होने पर अत्यन्त कोमलबाणी में साधक को बचन देती है, किसी भी बाधा के समय प्रकट होने का रहस्यमयी मंत्र उनसे बचन रूप में प्राप्त कर लें।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या