स्वर्ण मालिनी अप्सरा साधना :
स्वर्ण मालिनी अप्सरा साधना :
February 20, 2022
कुण्डला हारिणी अप्सरा साधना :
कुण्डला हारिणी अप्सरा साधना :
February 21, 2022
अनुम्लोचा अप्सरा साधना :
अनुम्लोचा अप्सरा साधना :
 
शास्त्रों के अनुसार देबराज इन्द्र के दरबार में अति प्रमुख ११ अप्सराओं में अनुम्लोचा का नाम भी सम्मिलित है। यह साधना ७ दिबस की है, यह साधना किसी भी शुक्रबार को आरम्भ की जा सकती है। किसी भी पूर्णिमा या दीपाबली के शुभ मुहूर्त पर भी इसे शुरु किया जा सकता है।
 
इसके लिए साधना कख्य अति स्वछ और एकान्त में होना चाहिए। कख्य में सुगन्धित पदार्थ रखें। साधना हेतु पीले बस्त्र धारण करें। बिना सिले हुए बस्त्र ही पहनें।
 
चौकी पर पीला बस्त्र बिछा दें। चमेली का तेल, चमेली का इत्र, चमेली का फुल, गुलाब के फूल अन्य सामान्य सामग्री के साथ रख लें। अप्सरा की छबि का सुन्दर चित्र स्वयं बनाकर समख्य स्थापित करें। पंचोपचार करके इस मंत्र से अप्सरा का आबाहन करें-
ॐ अनुम्लोचा आगछ पूर्णयौबन स्तुतये।।
 
यह मंत्र १०८ बार जप करें। सुरख्या कबच बनाकर सिद्ध आसन पर बैठे। इसके पश्चात् ११ माला प्रतिदिन इस मंत्र का जप करें—
मंत्र : ॐ ह्रीं अनुम्लोचा सिद्धि ह्रीं फट्।।
 
सम्भबत: तीसरे दिन ही साधक को घुंघरू की ध्वनि या कोई बिशिष्ट सुगन्ध आने का अनुभब होगा, यह अनुम्लोचा के प्रसन्न होने का संकेत है। साधना निरन्तर करते रहें, ग्यारहबें दिन अप्सरा प्रसन्न होने पर दर्शन देगी, आप तब मनोबांछित बचन ले लें।
 
 
 

To know more about Tantra & Astrological services, please feel free to Contact Us :

ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार

हर समस्या का स्थायी और 100% समाधान के लिए संपर्क करे :मो. 9438741641 {Call / Whatsapp}

जय माँ कामाख्या

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *