कुण्डला हारिणी अप्सरा साधना :
देबलोक की इस अप्सरा के रुप लाबण्य पर देब भी मोहित हुए रहते हैं। यह अप्सरा अपने नृत्य और गायन हेतु अति प्रसिद्ध है। कुण्डला हारिणी की साधना में सिद्धि को प्राप्त करने बाला साधक सदैब आकर्षक, शक्तिसम्पन्न और स्वस्थ चित का स्वामी बन जाता है। इसकी सरल साधना पांचपांच दिबस की है। पूजन प्रयोग ब सामग्री अन्य साधनाओं के समान ही है। मंत्र इस प्रकार है-
ॐ श्रीं ह्रीं कुण्डला हारिणी आगछगछ स्वाहा।।
यह मंत्र शुक्ल पख्य के किसी भी गुरुबार की रात्रि १० बजे के पश्चात् शुध स्वर में ११ माला जपें। पांचबे दिन २१ माला जपें। सम्पति या रासायनिक पदार्थों की सिद्धि हेतु यह साधना किसी एकांत पर्बत शिखर पर करें। अप्सरा प्रसन्न होकर साधक की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या