किन्नरीयां अत्यन्त दयालु और सौम्य स्वाभाब की होती है। इनकी साधना के क्रम में यहाँ मनोहारी किन्नरी की साधना का बर्णन दिया गया है।
इस किन्नरी की साधना अमाबस्या से आरम्भ हो कर पूर्णिमा तक चलती है। इसकी साधना हेतु साधक चमकीले लाल बस्त्र धारण करें, इससे मनोहारी शीघ्र आकर्षित होकर प्रसन्न होती है। इसके लिए लकडी की चौकी रखकर लाल रंग के आसन पर पूर्ब की और मुख करके बैठें। सर्बप्रथम गणेश और गौरी पूजन करे। फिर गुरू पूजन कर मुख्य साधना प्रारम्भ करें।
गौ घृत का अखण्ड दीप जलायें, गुगगुल आदि भी जला लें। रात्रि ११ बजे के पश्चात् इसका मंत्र जप शुरू करें। रुद्राख्य की सिद्ध माला से ११००० बार जप करें। जप करते समय मनोहारी की अनुपम छ्बी का ध्यान करते रहें।
मंत्र : ॐ मनहरणी मनोंहरिण्ये नम: ।।
इस मंत्र का निरन्तर प्रति रात्रि जप करें। सात्विक आचरण रखने पर मनोहारी किन्नरी अबश्य प्रसन्न होती है, साधक का जीबन परिबर्तित कर देती है। यह साधना गोपनीय रखें। साधनाकाल में भूमि पर ही शयन करें। सत्यभाषी रहें। प्रत्यख्य होने पर तीन बचन किन्नरी से ले लें। एक बचन किन्नरी भी साधक से लेगी। कई बार साधना के मध्य भी किन्नरी के प्रकट होने की अनुभूति हो जाती है।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या