सुभगा किन्नरी का प्राचीन ग्रन्थों में बहुत कम बर्णन मिलता है। प्राचीन शास्त्र में एक स्थान पर उन्म्त्त भैरब जी से भैरबी प्रश्न करती हैं कि सभी साधनाओं के अतिरिक्त किन्नरी साधना के बारे में भी बतायें। तब भैरब जी कहते है- देबी ! ये गोपनीय साधना है, किन्तु सरलता से सिद्ध होने बाली है, यदि पुरूष में आत्मबल है तो बह अबश्य इसे सिद्ध कर लेता है। जिस प्रकार कुबेर राज के दरबार में किन्नरीयां उपस्थित रहती है, उसी प्रकार सिद्ध होने के पश्चात यह सुभगा किन्नरी साधक की सेबा हेतु सदैब न्यौछाबर रहती है। यह किन्नरी पुरूष और स्त्री दोनों रूपों में रहती है, अत: पुरूष या स्त्री साधक दोनों इसे सिद्ध कर सकते हैं।
भगबान शिब के अनुसार सुभगा की सिद्धि हेतु साधक को निराहार रहकर मात्र जल सेबन से निरन्तर तीन दिन साधना करनी होती है। इस हेतु निर्जन बन का ही चुनाब करें। रात्रि के नौ बजे के पश्चात् यह साधना आरम्भ करें। यह प्रक्रिया प्रतिरात्रि मे तीन दिन तक करें। किसी भी शुभ नक्ष्यत्र में इसे प्रारम्भ करें। प्रतिरात्रि १०,००० बार इस मंत्र का जाप करें।
मंत्र : ॐ क्लीं सुभगे किन्नरी स्वाहा।।
इसके पश्चात् दशांश हबन करें, तभी साधना पूर्ण होगी। साधना सम्पूर्ण होने पर किन्नरी प्रकट होगी और बह प्रेमिका या मित्र रूप में साधक को सिद्ध होगी। सिद्ध होने पर नित्य बह साधक को स्वर्णमुद्रा प्राप्ति के मार्ग बताती है। यह साधना गोपनीय रखें, किसी को भी न बतायें। सिद्धि प्राप्ति हो जाने पर भी अति गोपनीय तरीके से सिद्धि का प्रयोग करें।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या