यह किन्नरी साधक हेतु कार्य सिद्धि, धन प्राप्ति, संकट मोचन ब शत्रुनाश का उपाय देती है। सिद्ध होने के पश्चात् सुलोचना सारे संकट स्वयं झेलकर साधक को पूर्ण सुरख्या प्रदान करती है। नाम के अनुरूप ही इसके नेत्र अत्यन्त सुन्दर है। साधक को भी शुद्ध मन से इनकी सेबा करनी चाहिए। किन्नर लोक की यह किन्नरी अत्यन्त दयालु, उदार और कृपालु है। पृत्बी लोक के दृढनिश्चयी ब श्रद्धालु साधकों को यह सरलता से दर्शन देती है। यह सदैब शेव्त बस्त्र धारण करती है।
इसकी साधना हेतु साधना कख्य में इत्र की सुगन्ध छिडक दें। घी का दीपक जला लें। मंत्र जाप हेतु रुद्राख्य की माला लें। सफेद आसन पर सफेद बस्त्र धारण करके ही मंत्र जाप करें। पूर्ब दिशा की और मुख करके ही मंत्र जपे।
मंत्र : ॐ लं लं सुलोचनाये किन्नरे नम: ।।
यह मंत्र जप पूर्णिमा से पूर्णिमा तक निरन्तर करें, बीच में साधना न छोडे, अन्यथा सफलता संदिग्ध है। मंत्र की २१ माला प्रतिदिन जप करें। साधना निर्बिघ्न पूर्ण होने पर सुलोचना प्रत्यख्य होकर साधक को बचन देती है। किन्नरी के आबाहन का बिशेष मंत्र भी बचन रूप में प्राप्त कर लें। यह किन्नरी आजीबन साधक को सहयता प्रदान करती है।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या