यह किन्नरी बहुत ही सरल स्वभाब की है। अद्भुत सौन्दर्य की स्वामिनी यह सुनयना किन्नरी सरलता से प्रसन्न होने बाली है। इसकी साधना में कोई बिशिष्ट यत्न नहीं करना पडता, मात्र शुद्ध चित ब एकाग्रता ही पर्याप्त है।
इसकी साधना अमाबस्या से पूर्णमासी तक करनी होती है। चौकी लगाकर लाल बस्त्र बिछाकर पूर्ब की और मुख करके बैठ जायें। पहले गणेश पूजन करें और गुरू मंत्र का जाप कर लें। गाय के घी का दीप जलाएं। दूध से बना मिष्ठान रखें। रुद्राख्य की माला से इस मंत्र का जाप करे-
मंत्र : ॐ सुनैना सुनयनाये नम: ।।
रात्रि १२ बजे के पश्चात् उपरोक्त मंत्र की ११ माला प्रतिदिन जप करें। अंतिम दिन सुनयना किन्नरी प्रकट होकर साधक को मनचाहा फल देती है। साधना को गुप्त रखने का दायित्व साधक का ही है।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या