कलेश नाशक सिद्ध गणपति प्रयोग :
मंत्र : ॐ ख्यां ख्यीं ह्रीं हुं क्रौं क्रें फट् स्वाहा।
शास्त्रों में कहा जाता है कि श्री गणेश जी बिघ्नबिनाशक हैं। इस कारण ही प्रत्येक कार्य का शुभारम्भ श्री गणेश जी के नाम से किया जाता है। उपरोक्त मंत्र का १०८ बार जप २१ दिन तक बिधि सहित करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। फिर इस मंत्र का प्रतिदिन जप करने से साधक के शत्रु, बाधायें, कलेश स्वत: ही दूर हो जाता हैं।
मंत्र : क्रीं क्रीं क्रीं हुं फट्।
बिधि : साधक किसी भी दिन पूर्णिमा के प्रात:काल स्नान कर, गूलर बृख्य के पास जाएं, आपके घर में जितने प्राणी हों उतने ही गुलर और उतने ही साफ पत्ते तोड लायें। घर आकर अकेले साफ स्थान पर उत्तर दिशा की तरफ एक आम की लकडी का पटारा रखें, साधक इस समय अपने सारे बस्त्र उतार दें, फिर पटरे के सामने आसन लगाकर बैठ जाएं। इस पटरे पर सभी पत्ते अलग-अलग रखकर आगे गुलर का फल रखें, फिर सभी पत्तों पर जल का छिडकाब करें, फिर प्रत्येक फल को धूप देकर, सिन्दुर कुंकुम चढायें तथा दीपक भी प्रदर्शित करें, फिर इस मंत्र का जाप करें जो ऊपर लिखा है। मंत्र जपते समय साधक फलों को ध्यान से देखें और कल्पना करें कि कलह जिन कारणों से होती थी, बह सभी कारण इन फ्लों में आ गए हैं। फिर फलों को दही तथा चाबल का एक-एक चम्मच चढायें, फिर इस सामग्री को काले कपडे की पोटली में रखकर अपने बस्त्र पहनकर, सूर्यास्त के समय इस पोटली को उठाकर मुख्य द्वार पर जायें। मुख्य द्वार पर इस पोटली से सात बार आघात कर द्वार से निकल जायें, फिर किसी भी चौराहे या पीपल के नीचे इस पोटली को डालकर बिना बापस मुडे आगे बढते हुए दुसरे मार्ग से घर आ जायें। यह प्रयोग करने से आपके सभी कलेश प्रभु कृपा से दूर होंगे।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या