नाम पाहरू दिबस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
लोचन निज पद जंत्रिल जाहि प्रान कोहि बाट।।
बिधि : शनिबार के ब्रह्मा बृक्ष के नीचे बैठकर इस मंत्र का ११०० जप ४० दिन तक नित्य करें। जप काल के प्रत्येक शनिबार को ब्रह्मा बृख्य को जल चढायें। मंगलबार को बन्दरों को चना गुड प्रदान करें।इस प्रकार से मंत्र के प्रभाब द्वारा अकाल मृत्यु का भय जाता रहता हैं।
श्री महामृत्युन्जय सिद्ध मंत्र :
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुब: स्व:,
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम्।
उर्बारुकमिब बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्व: भुब: भू:,ॐ स: जूं हौं ॐ।।
बिधि: यह सम्पुटयुक्त मंत्र है। इसका अनुष्ठान सबा लाख मंत्र जप का माना जाता है। जप का दशांश हबन, हबन का दशांश तर्पण, रुद्राक्ष की माला से जप करना चाहिए। जप समाप्ति पर शिबजी की स्तुति शिब सहस्रनाम से भी करनी चाहिए तो अकालमृत्यु का भय जाता रहेगा। यह मंत्र मृत्युतुल्य कठिन रोगों में तथा आयु वृद्धिकारक अचूक मंत्र है।
१. दरियाई नारियल को ताबीज की भांति धारण करने से सभी प्रकार की रक्षा होती है। अकाल मृत्यु का साधक पर कम ही असर होता है।
२. इसके लिए नाग्दौन का प्रयोग भी देखागया है।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या