बश्य मानय कुरू-कुरू स्वाहा।
बिधि : इस मंत्र का जप किसी ग्रहण काल या फिर निसारात्र मे एकान्त घर मे ११०८ बार जप करके दशांश हबन ओर दशांस तर्पण करके सिद्धि करले, फिर आब्श्यक समय में बृहस्पतिबार के दिन कदली का रस में सिन्दुर और योनि का रक्त मिलाकर, अभिमंत्रित कर मस्तक पर तिलक लगाबें तो कैसा भी निष्ठुर पति हो बह भी बशीभूत हो जाता है।
(2) पति बशीकरण के लिए मंत्र:
ॐ ह्रीं भोगपद्रा भैरबी मातंगी (अमुक) ।
बिधि : किसी पात्र में अभिमंत्रित सियार सिंगी रख के तेल का दीपक जलाकर तथा भोग के लिए फल आदि रखकर, इस मंत्र का २१ दिन में ४१०००० जाप करें। अमुक शव्द के स्थान पर पति का नाम उच्चारण करें। इस तरह यह प्रयोग सिद्ध होगा।
जब तक इस सियार सिंगी को स्त्री अपने पास रखेगी तब तक इसका पति उसका मुरीद (गुलाम) रहेगा।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या