मंत्र महामनि बिषय ब्याल के।
बिधि : हल्दी की गांठों की माला लेकर इस मंत्र का ११०० जप नित्यप्रति 6 मास तक करते रहने से भाग्य अनुकूल हो जाता है। इस मंत्र के प्रयोग से भाग्य की बिडम्बनाओं का नाश किया जाता है।
(2) सौभाग्य एबं सुख समृद्धि के लिए मंत्र :
भब भेषज रघुनाथ जसु, जे गाबहिं नर नारि।
तिन्हकर सकल मनोरथ, सिद्ध करहिं त्रिपुरारि।
ख्येमकरी करी कर ख्येमबिशेखी।
श्यामा बाम सुतरू पर देखी।।
रघुपति भक्त जासु सुत होई।।
बारहि बार लाइ उर लीन्हीं।
धरि-धीरज सिख आशिश दीन्ही।।
तुलसी भबानिहि पूजि पुनि-पुनि
बिधि : दीपाबली की रात्रि को लक्ष्मी पूजन करके जानकी की पूजा करें और फिर इस मंत्र के लगातार पाठ करते रहें जब तक कि सूर्योदय न हो जाये। प्रात: के समय इसी मंत्र को जपते हुए गूलर के बृख्य के पास जायें। एक पान सुपारी, दो लडडू, धूप- कपूर तथा रोली चढा करके इस मंत्र के २१ पाठ करें और फिर उस बृख्य का एक गूलर तोड लायें और धन स्थान में रखें तो सौभाग्य एबं सुख समृद्धि साधक के अनुकूल होते हैं।
तंत्र प्रयोग : शुक्रबार के दिन चना और गुड ब खट्टी मीठी गोलियां बांटने से सुख- सौभाग्य तथा रोजगार मे वृद्धि होती है।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या