राम कुण्डली, ब्रह्माचाक। तेतिस कोटि देबा देबी।।
अमुक की बेडियां। अमुकेर अंकेर।।
कुज्ञान काटम् कारबणे काटे।।
राजा रामचन्द्रेर। बाणे काटे।।
अमुकेर अंगे।शीघ्र लागगे।।
बिधि: इस मंत्र को सिद्ध करके, फिर उच्चारण करके अपने चारों तरफ रेखा खींचने से समस्त प्रकार की ब्याधियों से भय नहीं लगता है।
(2) ताली द्वारा रक्षा के लिए मंत्र :
ॐ काली काली महाकाली इन्द्र की बेटी।।
ब्रह्मा की साली। उड बैठी पीपल की डाली।।
दोनों हाथ बजाबै ताली। जहाँ जाये बज्र की ताली।।
दुहाई कामरू कामख्या नैना योगिनी की।।
ईश्वर महादेब।गौरा पार्बती की।।
बिधि : इस मंत्र को सिद्ध करके सात बार जाप करके तीन बार ताली बजाने से सब प्रकार से रक्षा होती है। किसी भी प्रकार का भय नहीं लगंता।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या