हलीं ठीं ठीं क्रोध प्रशमन
ह्रीं ह्रीं हाँ क्लीं स: स: स्वाहा।।
बिधि : इस मंत्र को १०८ बार पढकर पहनने के बस्त्र के एक कोने में गांठ लगाने से, जिस ब्यक्ति के उद्द्देश्य से मंत्र का जप किया जाये। बह चाहे स्त्री हो अथबा पुरूष, समीप पहुंचते ही उसका क्रोध शान्त हो जायेगा।
इसके लिए चाबल ब गीदड सिंगी मिलाकर जिस ब्यक्ति पर मारे जायेंगे उसका क्रोध सदा के लिए समाप्त हो जायेगा।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या