लौह तत्वों की बहुत कमी के कारण यह रोग एनीमिया के नाम से जाना जाता है। शरीर के रक्त में लाल रक्त कणों की कमी हो जाना इस रोग के प्रमुख कारण है। इसके अलाबा स्त्रियों को मासिक धर्म के समय बहुत ज्यादा रक्तस्राब होने तथा किसी दुर्घटना में ज्यादा रक्त बह जाने से भी रक्ताल्पता की शिकायत हो सकती है। बिटामिन बी तथा फलिक एसिड की कमी भी रक्ताल्पता ले आती है। बच्चो के साथ-साथ स्त्रियों में यह रोग अधिक होता है। बिशेषत: गर्भाबस्था में स्त्रियों को इसकी शिकायत होती है। कान्तिहीन त्वचा, शीर्घ थकान अनुभब करना इसके प्रमुख लख्यण हैं।
केतु और त्रिकोण भाबों का गृहबिहीन होना इस रोग को जन्म देता है ।सूर्य तथा शनि की पीडित अबस्था में पाचन शक्ति की कमजोरी से यह रोग होता है। बृष, सिंह तथा कुम्भ राशियों में राहुकेतु की उपस्थिति से अधिक रक्त बाह जाने से रक्ताल्पता की सम्भाबना रहती है। बृहस्पति सिंह राशि में, मंगल से छथे, आठबें या बारहंबे भाब में या मंगल कर्क राशि में बैठा हो तथा चन्द्रमा छठे भाब में हो तो भी रक्ताल्पता की शिकायत हो सकती है।
कलाई में लोहे का कडा पहनें, ५ रत्ती मूंगा तथा ५ से ७ रत्ती का पुखराज सोने या चांदी की अंगूठी में दायें हाथ में धारण करें।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या