अपेंडिक्स में प्रदाह तथा शोध की सिथति ही अपेणिडसाइटिस कहलाती है। इस रोग पेट में तेज दर्द होता है। रोग के अन्तिम स्टेज पर यह पेट में भी फट सकता है और जान भी जा सकती है। आप्रेशन के द्वारा इसको निकलबा देना चाहिये। यह एक सफल उपचार है। रोगियों में इसके बिभिन्न प्रकार के लख्यण होते हैं। यह रोग किसी को भी हो सकता है।
मंगल इस रोग का प्रधान कारक माना गया है। मंगल का दूषित होना, कन्या , तुला तथा बृशिचक राशियों में शनि, राहु का मंगल के साथ योग होना अपेणिडसाइटिस होने की सम्भाबना होती है।मेष लग्न, शनि, तुला लग्न तथा मकर लग्न के जातक इस रोग से अधिक पीडित होते हैं।
अनामिका में पुखराज धारण करें। लाल मूंगा गले में धारण करें। हीरा तथा माणिक्य भी अलग-अलग हाथों की अंगुलियों में धारण करें।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या