भगबान त्र्यम्बक द्वारा शिबगिरि को उपदेश किए गये बशीकरण मंत्र एबं प्रयोग संकलित है। बशीकरण का अर्थ है- बश में करना, आधीन करना। इन प्रयोगों से किसी भी प्राणी को साधक अपने बश में कर सकता है। प्रमुख प्रयोगों का निर्देश करते हुए भगबान महेश कहते है—
ईश्वर बोले- अब अद्भुत बशीकरण प्रयोग कहता हुं जिसके प्रयोग से पुरूष, स्त्री, सब बश में हो जाते हैं।
रबिबार के दिन ब्रहमादण्डी, बच, कूट इन का चूरा जिसे पान में रखकर खिला दे बह सदा बश में रहता है।
पुष्य नक्ष्यत्र में रबिबार को सहदेबी लाकर उसे छाया में सुखाए और उसका चूरा पान में रख कर दे तो सब संसार को बश में कर लें।
देबदाली और सरसों की गोली बनाकर उसे मुख में रखकर बातचीत करे तो सब संसार बश मे हो जाए।
केशर, तगर, कूट, हरताल और मनसिल इनमें अनामिका अंगुली का रूधिर, मिलाकर तिलक करे तो सब का बशीकरण होता है।
मंत्र : ॐ ह्रीं नमो मोहिन्यै सर्बलोकान् मे बशं कुरू कुरू हुं फट् स्वाहा। (इस मंत्र को सबा लाख जपने से सिद्धि होगी।)
रबिबार को हाथ, पैर के नखों की राख पान में रख कर खिलाये तो स्त्री बश में हो जाए।
मंगल के दिन एक लौंग लिंग के छेद में उरस दे। फिर इसे बुधबार के दिन निकालकर जिसे पान में रख्कर दे बह बश में हो जाए।
स्त्री के बांएं पैर के नीचे से धीरे से मिट्टी ले ले और उसकी पुतली बनाकर उसमें बाल लगाबे।उसे नीले कपडे से लपेटकर उसके भग में अपने बीर्य का निखेप करे और फिर सिन्दुर लगाकर उसे दरबाजे पर गाड दें। उसे लांघने से प्राण और धन सहित स्त्री बश में हो जाए। फिर कृतज्ञ मनुष्य चिरकाल तक पृथ्बी पर आनन्द करे।
रेशम की बती बनाकर उस पर तालिस, कूट और तगर चुपडे तथा आदमी की खोपडी में सरसों का तेल भरकर उसे जलाकर काजल बनाये। उस काजल के आंजने से हमेशा तीनों भुबनों में आंखों के सामने आये हुए सब आदमी दास के समान हो जायेंगे।
बेदपाठी ब्राहमण को सोलह मासे सोने का दान करके यत्नपूर्बक इस मंत्र के जपने से ही सिद्धि होगी, अन्यथा नहीं।
मंत्र : ॐ नम: कामाख्ये देब्यै अमुकीं मे बशं कुरु कुरु फट् स्वाहा। (इसे सबा लाख जपने से सिद्धि होगी)
दिबाली के दिन सोमबार हो तो आधी रात को बिष्णुकान्ता के बीजों का तेल भरकर दिया जलाये। सोने की साफ कटोरी में काजल बनाये। उसके आंजने से चक्रबर्ती राजा भी बश मे हो जाए। बहां ब्राहमण को बुलाकर और उसकी बिधिपूर्बक पूजा करके उसे 64 माशा सोना दे। उसके हाथ से अपामार्ग के बीज तुडबाकर उन्हें अपने घर चुपचाप ले जाये और उनका छिलका निकालकर साफ करे।
महादेब का ध्यान करके उन्हें किसी प्रकार राजा को खिला दे तो बह जीबन प्रर्यन्त उसके बश में हो जाए। चक्रबर्ती राजा भी बश में हो जाए। मेरा कहना मिथ्या नहीं है। यह ऐश्वर्य देने बाला प्रयोग नीच पुरुष को नहीं देना चाहिए।
मंत्र : ॐ नमो भास्कराय जगदात्मने राजानं बशमानय कार्य कुरु कुरु फट् स्वाहा। (इसे सबा लाख जपने से सिद्धि होगी)
ध्यान दे :बशीकरण, स्त्री, राजा,शत्रु, अधिकारी आदि को अपने बश में करने के लिए हैं। किंतु काम, क्रोध, लोभ, मोहबश किसी को बश में करने के लिए इन प्रयोगों का करना उचित नहीं हैं। इन प्रयोगों से बश में किये गए ब्यक्ति से स्वार्थ के लिए कोई अनुचित कार्य करना करबाना भी सर्बथा निन्दनीय है। ऐसा करने बाला साधक अपनी सिद्धि को तो नष्ट करता ही है। जानबूझ कर पाप भी करता है। अत: ऐसा नहीं करना चाहिए।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या