१) क्रीं दक्षिणकालिके क्रीं स्वाहा।
देबी के एक हाथ में रक्तबर्ण अंकुश तथा दुसरे हाथ में शुल का ध्यान करें।
२) हुं हुं ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा।
यह उत्तम बशीकरण सब को बशीकरण करने बाला है।
नाग यज्ञोपबीत, मस्तक पर जटाजूट ब चन्द्र धारण किये हुये महाकाल के समीप स्थित है।
(२) काली हृदय मंत्र : ॐ ह्रीं क्रीं मे स्वाहा ।
बिनियोग : अस्य मंत्रस्य भैरबऋषि: ,बिराट्छन्द:, सिद्धकाली ब्रह्मारूपा भुबनेश्वरी देबता, क्रीं बीजं, ह्रीं शक्ति: आकर्षण बिनियोग: ।
न्यास : हाँ, ह्रीं, हूँ, हैं, हौं ह: से न्यास करे।
दाहिने हाथ के खड्ग से चन्द्रमा को बिदीर्ण करती है। जिससे चन्द्रमा का अमृत बांये हाथ में स्थित नरकपाल में गिरता है उसका पान करती है।
रक्तपुष्प होम से बन्हिस्वरुप, पीतपुष्प होम से स्तंभन , मालती पुष्प के होम से बृहस्पति समान होबे। कृष्ण पुष्प के होम से मारण होबे।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या