यह देबी रण में बिजय दिलाती है।
मंत्र :”ह्रीं सकलहक्रीं ॐ झं नीलपताके हुं फट्।”
महातारा ही कराला है। भाद्रमास में अमाबस मंगलबार पुनर्बसु, पुष्य, पूर्बाफालगुनी नक्षत्र हो उस दिन साधक बिष्णुक्रान्ता (अपराजिता) को श्मशान में ले जाकर शोधन करे। बाजार से मछली लाकर उसके मुंह में भांग रखे,आंखों में कज्जल लगाये फिर मछली को गाड देबे, तिलक लगाकर मंत्र जप करे। भैरब प्रकट होने पर उससे लाठी प्राप्त करे तो साधक भी भैरब रूप हो जाता है। रात्रि में दिगंबर, उन्मत्त, भस्मभूषित, मुक्तकेश, कपाल, खड्गयुक्त हो जप करे। देबी का जप अन्य आसनों के बजाय शबासन पर जप करे।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या