श्रद्धाभाब से इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने बाले साधक के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। इससे यश की प्रप्ति होती है तथा शत्रुओं पर सदा बिजय मिलती हैं। कोई भी ब्यक्ति साधक का कुछ भी अनिष्ट नहीं कर सकता।
इंद्राक्षी नाम सा देबी दैबतै: समुदाह्ता।
गौरी शाकम्भरी देबी दुर्गानाम्नोति बिश्रुता।।
कात्यायनी महादेबी चंद्रघण्टा महातपा: ।
साबित्री सा च गायत्री ब्राह्माणी ब्रह्मबादिनी।।
नारायणी भद्रकाली रूद्राणी कृष्णापिंगला।
अग्निज्ञ्बाला रोद्रमुखी कालरात्री तपस्विनी।।
मेघस्वना सहस्राक्षी बिकटांगी जलोदरी।
महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला।।
अजिता भद्रदाअनन्दा रोगहत्रीं शिबप्रिया।
शिबदूती कराली च प्रत्यक्ष परमेश्वरी।।
इंद्राणी इन्द्ररूपा च इन्द्रशक्ति: परायणा।
सदा सम्मोहिनी देबी सुंदरी भुबनेश्वरी।।
एकाक्षरी परा ब्राह्मी स्थूलसूक्षम प्रबर्तिनी।
नित्यं सकल कल्याणी भोगमोक्ष प्रदायिनी।।
महिषासुर संहत्रीं चामुंडा सप्त मातृका।
बाराही नारसिंह च भीमा भैरब नादिनी।।
श्रुति: स्मृतिर्धृतिर्मेधा बिद्या लक्ष्मी: सरस्वती।
अनंता बिजयापर्णा मानस्तोका पराजिता।।
भबानी पार्बती दुर्गा हैमबत्याम्बिका शिबा।
शिबा भबानी रुद्राणी शंकराध्रशरीरिणी।।
ऐराबत गजारूढा बज्रहस्ता बरप्रदा।
भ्रामरी कांचि कामाक्षी क्बणं माणिक्यनूपुरा।।
त्रिपाद्रस्म प्रहरणा त्रिशिरा रक्त लोचना।
शिबा च शिबरूपा च शिबभक्ति परायणा।।
मृत्युंजया महामया सर्बरोग निबारिणी।
ऐंन्द्री देबी सदा कालं शांतिमाशु करोतु मे।।
भस्मायुधाय बिद्महे, रक्तनेत्राय धीमहि तन्नो ज्बर हर: प्रचोदयात्।
एतत् स्तोत्रं जपेन्नित्यं सर्बब्याधि निबारणम्।
रणे राजभये शौर्ये सर्बत्र बिजयी भबेत्।।
एतैनर्नामपदैर्दिब्यै: स्तुता शक्रेण धीमता।
सा मे प्रीत्या सुखं दद्दात् सर्बापत्ति निबारिणी।।
ज्वरं भूतज्वरं चैब शीतोष्ण ज्वरमेब च।
ज्वरं ज्वरातिसारं च अतिसारज्वरं हर।।
शतमाबर्तयेद् यस्तु मुच्यते ब्याधि बंधनात्।
आबर्तयन् सहस्त्रं तु लभते बांछितं फलम्।।
एतत्स्तोत्र मिदं पुण्यं जपेदायुष्य बर्धनम्।
बिनाशाय च रोगाणामपमृत्युहराय च।
सर्बमंगल मंगल्ये शिबे सर्बार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तुते।।
इस स्तोत्र की एक आबृति करने से इछित फल की प्रप्ति, आयुष्य की वृद्धि, रोगों का नाश तथा अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। अपने संकट निबारण के निमित्त स्वयं देबराज इंद्र ने इस स्तोत्र का पाठ किया था। अत्यंत दुर्लभ यह स्तोत्र केबल देबताओं के लिए ही सुलभ है। प्रत्येक तंत्र साधक को इसका पाठ अबश्य करना चाहिए।
To know more about Tantra & Astrological services, please feel free to Contact Us :
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
हर समस्या का स्थायी और 100% समाधान के लिए संपर्क करे :मो. 9438741641 {Call / Whatsapp}
जय माँ कामाख्या