काली के मुख्य अस्त्रों में उनके बाण मंत्रों का अलग से प्रयोग करने का बिधान है-
(१) मारण बाण : क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे काकिके मारण्बाणाय क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा।
(२) मोहन बाण : क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे काकिके मोहनबाणाय क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा।
(३) उच्चाटनबाण : क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे काकिके उच्चाटनबाणय क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा।
(४) खोभणबाण : क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे काकिके खोभणबाणय क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा।
(५) द्राबणबाण : क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे काकिके द्राबणबाणय क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या