मंगलबार को मध्यरात्रि में दो शक्तियों सहित श्मशान में जाये। नीम के वृक्ष के दण्ड को गड्डा खोकर गाड देबे। बहीं पर महिषमर्दिनी के आठलाख जप करे। नीमकाष्ठ को निकाल लेबे, उस पर दण्ड का चिन्ह निर्मित करे। आश्विन शुक्ला अष्टमी की रात्रि को श्मशान में स्थापित कर उसके ऊपर शब स्थापित कर बिधि पूर्बक जप करे। बलि प्रदान कर, आठ हजार जप करके दण्ड को निकाल कर अभिमंत्रित करे।
मंत्र : स्फ्रें स्फ्रें दण्ड महाभाग योगीश हृदय प्रिय। मम हस्तस्थितो नाथ ममाज्ञां परिपालय।।
इसमें बेताल साथ रहता है। साधक जहाँ जहाँ बेताल को भेजता है बहाँ बहाँ शत्रु को दण्ड देकर बापस आ जाता है।
(२) किसी युद्ध में मारे गये ब्यक्ति का शब लायें। कृष्णा १४ की रात्रि में शबारूढ होकर हजार दो हजार तैलोक्यार्पण मंत्र का जप करें। इससे देबी शब के शरीर में प्रबेश करती है। प्श्चात् बलि प्रदान करें तो बेताल सिद्धि होबे।
मंत्र : ॐ ऐं क्लीं सःहों: स्फ्रों ग्लूं हौं क्रों हसखफ्रें क्रौं क्षयों कामकलाकालि बलिं गृहण गृहण सिद्धि मे देहि देहि दापय दापय स्वाहा।
To know more about Tantra & Astrological services, please feel free to Contact Us :
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
हर समस्या का स्थायी और 100% समाधान के लिए संपर्क करे :मो. 9438741641 {Call / Whatsapp}
जय माँ कामाख्या