इस बिद्या की सहायता से ३६ तरह की यक्षिणीयों को बश में किया जा सकता हैं।
मंत्र : “ क्रीं हूँ स्त्रीं ह्रीं (यक्षिणी नाम) क्रीं हूँ स्त्रीं ह्रीं ”
इस मंत्र से जप करें, साथ में नीलपताका का पूजन करें तो यक्षिणी सिद्ध होबे।
इस तरह ८४ तरह के यक्षों को भी बशीभूत किया जा सकता है।
मंत्र : हूँ क्रीं हूँ प्रीं (यक्षनाम) हूँ क्रीं हूँ प्रीं।
इस मंत्र का जप करें साथ में नीलपताका का पूजन करें।
बीज मंत्रों को आखिर में बिलोम भी लगा सकते हैं।
यथा : क्रीं हूँ स्त्रीं ह्रीं (यक्षिणीं) ह्रीं स्त्रीं हूँ क्रीं।
नीलपताका मंत्र प्रयोग से खड्ग सिद्धि, अंजनसिद्धि, रसायनसिद्धि तथा इंद्रजाल की कई सिद्धियों को प्राप्त किया जा सकता है।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या