गूलर प्रयोग :
ग्रहण बाले दिबस से एक दिबस पहले गूलर के ब्रुक्ष्य को तंत्र बिधि से निमन्त्रण दे आयें और अगले दिन अर्थात् ग्रहण बाले दिन सबेरे ही ब्रुक्ष्य को हलुबे या शर्बत का चढाबा चढाकर नमश्कार करके उसका बांदा तोड लायें। ग्रहण लगते ही बांदे की पंचोपचार से पूजा करें और पूरे ग्रहण काल में “ॐ ॐ ॐ महालक्ष्म्यै च बिद्महे बिष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् “ मंत्र का जप करें।
जप में जिस माला का प्रयोग करें बह कमल गट्टे की हो तो श्रेष्ठ है। ऐसे अभिमंत्रित गूलर के बांदे को ताबीज में रखकर धारण करें तो भूमिगत धन दिखाई देता है और अभीष्ट की प्राप्ति भी होती है।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या