मंत्र :- “ओं नमो आदेश गुरू जी को।
तूही पृथ्बी आकाश को बनाबे।
तूही पंच तत्वों को उपजाबे।
तीनों लोको में तू ही रचना बनाया।
तूही है जिसने जगल को उपजाया।
तूही देबता किन्नर दैत्य बनाये।
तूही इनमें बैर बिबाद रचाये।
तूही करती है आप इनमें बिखेरा।
तूही फिर करै आनि इनमें निबेडा।
सदा जय सदा जय सदा जय जै बिराजै।
दास जानकर दास की रक्षा कीजै।
अपनी बिरढ कर दास को राख लीजै।
सदा शरन तेरी राख लाज मेरी।
हे खड्गगधारी कालिका शरन तेरी।
बिधि : इस मंत्र का जप नियम सहित सुबह के पिछ्ले पहर में करना चाहिए। दो घण्टे में जितना हो सके उतना करना चाहिए गिनती के मुताबिक उतना ही प्रतिदिन करना चाहिए ४० दिन का यह पाठ है।
शुद्ध साफ पबित्र होकर धूप दीप का प्रयोग करके मशान से रक्षा करके (मंत्र पढकर) जप करे, ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करना चाहिए यह सिद्धि आपको जिन्दगी में हर कार्यों में सफलता देने बाली है। काली की भेंट पूजा देकर बिधिबत जप करने से मंत्र की सिद्धि होगी।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या