जिस मंत्र के प्रयोग द्वारा मनुष्य की मृत्यु कर दी जाती है बह मारण कहलाता है। मारण मंत्र की देबी श्री भद्रकाली है। इसका जाप अग्निकोण में तथा शरद ऋतु में तथा कृष्ण पक्ष की मध्य रात्रि में किया जाता है। तथा यह अभीष्ट फल देने बाली हैं। काले रंग के भैंसे के चमडे का आसन बिछा कर साधना करें। पास में ही मिट्टी का बर्तन रखें, उल्लू का पंख, बिष मिश्रित रूधिर से हबन करें तथा गधे के दांत की माला का प्रयोग करें, यह प्रक्रिया अमाबस्या को पूर्ण फलदायी है। सही नियम से साधना करें, यह प्रयोग कभी भी नाहक किसी के प्राण गंबाने के लिये न करें, यह गलत असर कर देगा, जब अपनी जान को खतरा हो तभी यह प्रयोग करें।
ध्यान : शबारूढाम्महाभीमां घोरदंष्ट्रा हसन्मुखीम्।।
चतुर्भुजां खडगमुण्डबराभयकरां शिबाम्।
मुण्डमालाधान्देबी लालजिह्वान्दिगम्बराम्।
एबं संचिन्तयेत् काली श्मशानालयबासिनीम्।।
अर्थ :- (यह महाकाली मुर्दे पर सबार है। उसका शरीर शिबजी के समान, भस्म बाघम्बर ब सर्प युक्त होने से महा भयंकर (डराबनी) है। ऐसी बिकराल रूप बाली महामाया शत्रुओं के प्रति अपेक्षापूर्ण भाब से हंस रही हें, तथा ऐसा करने पर उसकी तीक्षण दाढें स्पष्ट दिखाई दे रही हैं।उसके ४ हाथ हैं, एक हाथ में रक्त रंजित खड्ग है, दूसरे में नर मुण्ड, तीसरे में अभय मुद्रा है चौथे में बर है। गले में मुण्ड माला है। दिशायें ही उनका अम्बर हैं, तथा लपलपाती हुई जिह्वा बाहर निकली है। श्मशान जिनका निबास स्थान है ऐसी महाकाली का ध्यान में भक्ति पूर्बक करता हूँ।)
हाथ में गदा हाथ में त्रिशूल।
नाब बाचा को बाधों ब्रह्मा।
करो लाज राखने बाली काली।।”
बिधि : इस मंत्र की सिद्धि नबमी के दिन की जाती है तीन दिन में एक लाख बार जपने पर यह मंत्र सिद्धि देता है अर्थात् नबमी से दो दिन पहले जप शुरू कर देना चाहिए। जप शुरु करने से तीसरा दिन नबमी का हो।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या