इसे सिफलिस के नाम से जाना जाता है। यह बहुत ही घातक यौन रोग है। इस रोग से पीडित ब्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध बनाने से यह रोग दूसरे ब्यक्ति को भी हो जाता है। समलिंगी पुरूष इस रोग के अधिक शिकार होते हैं। गर्भबती स्त्री से होने बाले शिशु को भी यह रोग होने की सम्भाबना रहती है। इसका इलाज समय पर करबाना चाहिये अन्यथा जान जाने का भय होता है।
गुप्त अंगो पर लग्न से सातबें तथा आठबें भाब का नियन्त्रण रहता है। यदि इन दोनों भाबों में मंगल ब शुक्र पीडित हो तो इस रोग के होने का योग बनता है।
ऐसे स्थिति में सफेद या लाल मूंगा धारण करना चाहिये।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या