मंत्र :ओं क्लीं पिशाचि आकस्मिक, धन देहि देहि फट् स्वाहा।।
बिधि : दीपाबली की रात को कहीं कहीं पर जुआ खेलने का रिबाज प्रचलित है। प्राचीन काल में जुआ खेलने का रिबाज था, प्राचीन ग्रंथों में इससे सम्बन्धित जो प्रयोग प्राप्त हुआ है बह हम आपको भेंट कर रहे हैं। पहले जलपात्र, केशर, लघु नारियल, नैबेद्य, अगरबती घी का दीपक लें। दीपाबली के दिन इसका प्रयोग करने का शुभ समय १० बजे से ११ बजे तक है। एक घण्टा साधना करे। साधना के समय किसी पात्र में लघु नारियल को स्थापित कर दें फिर उस पर केशर का तिलक करें। तत्पश्चात् उससे हाथ जोडकर प्रार्थना करें कि मैं अमुक नाम के ब्यक्ति से जुआ खेलना चाहता हुं। यह महत्वपूर्ण प्रयोग जुआ खेलने के लिए तथा सफलता प्राप्त करने के लिए कर रहा हूँ। फिर मूगेकी माला से उपर्युक्त मंत्र का जाप करें। जप करने के बाद जुआ खेलने के लिए जाबें, तब लघु नारियल को अपनी जेब में रख लेबें ऐसा करने से जुआ में सफलता मिलती है। यह बिशेष लाभ प्राप्त करने के लिए सही है।
धूप, फल, फूल मिठाई सामने रखकर जप एक ही स्थान में (साधना की नियत) करें, माला एक ही प्रयोग करें बदलनी नहीं चाहिए।
आप नियम सहित साधना करें ब्रहमचर्य का पालन कर साधना में बैठें देबता की तस्बीर लगाकर घी का दीपक लगातार जलाना चाहिये। अधिक जानकारी के लिये आप हमसे सम्पर्क कर सकते है।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या