किसी भी तंत्र से सम्बन्धित सिद्धि को सम्पन्न करने के लिए उस सिद्धि के मूल रहस्यों का समझना बहुत आबश्यक है। भारतीय तंत्र ग्रन्थों में इन साधनाओं का बिधि सहित उल्लेख मिलता है। आज कोई भी तांत्रिक इन प्राचीन दुर्लभ ब रहस्यमयी साधनाओं के रहस्यों को प्रामाणिकता के साथ उजागर नहीं करता। तांत्रिक ग्रंथों में तंत्र साधना के बारे में बहुत कुछ मिलता है लेकिन इन सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए अत्यन्त कठिनाई होती है।
गुरु प्रेम का एक जीबन्त रूप है जिस ईश्वर के पास से हम तंत्र की बह मंजिल प्राप्त कर सकते हैं जो बिना गुरु के प्राप्त नहीं हो सकती। गुरू ही अपने शिष्यों को तंत्र की डगर दिखाकर आपको पूर्ण शिष्य बनाकर आपको तंत्र की मंजिल पर बीठाकर आपका नाम रोशन करेंगा।
आज न तो शिष्य मिलता है, जो मिलता है बह भी गुरू की गद्दी पर ध्यान लगाये बैठा है कि गद्दी पर कब मेरा राज्य हो। गुरू शिष्य का यह सम्बन्ध नहीं होता। आप जो भी तंत्र बिद्या सीखना चाहते हो तो गुरू और शिष्य का सच्चा सम्बन्ध स्थापित करके ही बिद्या प्राप्त कर सकते हैं।
आज हर तरफ मौत का राज्य दिखाई देता है इससे बचने का उपाय तंत्र ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है। आज कोई भी ब्यक्ति अपने पिता की जिन्दगी का हाल नहीं बता सकता फिर तंत्र को कौन बता सकता है ।
तंत्र श्वद (तं) का अर्थ तन और (त्र) का अर्थ त्राण है। भाब यह है कि तंत्र तन की रक्षा के लिए है। जब शिब + माया का मिलन होता है तब तंत्र की उत्पति होती है। इसके बाद में शिब भक्त ग्रंथ का रूप देकर दुनिया के आधीन कर देते हैं। तंत्र की साधनाएं कर करके हम देबताओं की पूजा प्रतिष्ठा करके प्रकृति और भगबान को अपने मनोनुकूल कर लेते हैं और मनोकामना पूर्ण करते हैं।
आज भी तंत्र से मशान जागता है आज भी भूत /प्रेत कब्रों में निबास करते हैं। मंत्रों की बिधि से भूत- प्रेत को सिद्ध कर अपना मनचाहा कार्य कराया जा सकता है। आज भी मुर्दे को कीला जाता है, यह अन्ध –बिश्वास नहीं, यह सदियों से चली आ रही रीती है। आज भी चौराहों पर कई चीजों को लोग छोडते हैं और दान दिया जाता है। यह हमारे योगियों की धारणा है कि हम पर परम परमात्मा की मेहर है।
किसी भी तंत्र शास्त्र के सिद्धि के पूर्ब कर्ता को उस बिषय तथा बिधि का बिशेष ज्ञान होना आबश्यक है। सही बिधि के बिना साधक हर क्षेत्र में परास्त होता है। इस काम के लिए कुछ स्थाई नियमों का पालन बहुत जरूरी है ,तब ही सफलता मिलेगी।
यह परमात्मा का ही आभार है, आज जो रोग डाक्टर- बैद्य महीनों में ठीक कर पाता बह तंत्र बिद्या से एक दिन में टोटके द्वारा ठीक हो जाता है। यह बिद्या आज भी प्रचलित है। आज भी अचम्भे ब करिश्मों को दिखाती है। हम आज भी इसका उपयोग कर सकते हैं। हजारों तांत्रिक साधना में रत हैं। आज भी बंगाल का नाम सुनते ही आंखों में अजीब –सी तस्बीर दिखाई देने लगती है तथा कानों में अजीब-सी आबाज सुनाई देने लगती है। यह तंत्र मंत्र का प्रमुख स्थान है, जहाँ हर कोई अपने आपको पक्षी की तरह मानता है कि बंगाल में मनुष्य को पक्षी बना देते हैं यह सच भी है ।
महानिर्बाण तंत्र में लिखा है कि कलियुग में गृहस्थ लोग केबल आगम तंत्र के अनुसार ही कार्य करेंगे ; अन्य मार्गो से गृहस्थी को सिद्धियां प्राप्त नहीं होंगी।
कुलार्ण्ब तंत्र में यह भी कहा गया है कि सतयुग में श्रुति में कथित आचार का, त्रेतायुग में प्रतिपादित आचार तथा द्वापर युग में पुराणों में बर्णित आचार की मान्यता थी और कलियुग में आगम शास्त्र, समस्त तंत्रों का ही आचार प्रधान है। भाब यह है कि कलयुग में ब्यक्ति कठिनाइयां, संकट, बाधाएं दूर करने के लिए एक मात्र तंत्र का ही प्रयोग करेंगे। तंत्र सिद्धि एक ऐसी बिद्या है जिसकी सहायता से हमारी हर मनोकामनां पूरी हो जाती है।
यह स्पष्ट है कि मैं सत्य सत्य नि:सन्देह रूप से घोषित करता हूँ कि कलियुग में तंत्रों का उल्लंघन करके जो अन्य मार्गो को अपनाता है उसकी सद्गति सम्भब नहीं।
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