यदि घर में कलह हो या पति/पत्नी में मतभेद हो या पत्नी चाहती हो कि उसका पति उसके नियंत्रण में रहे या कोई ब्यक्ति किसी अन्य को अपने बश में करना चाहता हो या किसी शत्रु को अपने आधीन करना चाहता है तो ऐसे सभी प्रयोगों में आगे लिखा मंत्र उपयोगी हो सकता है। यह प्रयोग किसी भी रबिबार से प्रारम्भ किया जा सकता है।रबिबार के दिन प्रात: काल उठकर स्नान कर शुद्ध बस्त्र पहन कर अपने सामने दक्षिणावर्ती शंख को रख दें, और उस पर कुमकुम लगा दें।
इसके बाद शुद्ध घृत का दीपक इसके सामने रखकर स्फटिक माला से निम्न मंत्र की एक माला फेरें। इस प्रकार ३० दिनों तक नित्य नियमपूर्बक करें तो निश्चय ही बह अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त कर लेता हैं। इस प्रकार के प्रयोग नित्य १५ से २० मिनट लगते हैं और ऐसा प्रयोग करने पर ब्यक्ति मनोबांछित सफलता प्राप्त कर लेता है।
मंत्र :ओम क्रीं अमुकं मे बशमानाय स्वाहा।।
यह मंत्र अपने आप में बिशेष शक्ति समेटे हुए है। इसी बिधि में यह शंख अपने सामने रख दें और चाबल के साबुत दानें अपने सामने किसी पात्र में रख दें, इस बात का ध्यान रखें कि चाबल के दाने खण्डित न हों। इसके बाद में उपरोक्त मंत्र पढकर कुछ दाने इस शंख के मुंह में डाल दें इस प्रकार नित्य १०८ बार मंत्र पढकर चाबल के दाने इस शंख के मुंह में डाल दें। मंत्र मे जहाँ अमुक लिखा हुआ है बहां उस पुरूष स्त्री का नाम उच्चारण करें जिसे बश में करना है । जब माला पूरी हो जाये तब बह शंख बहाँ से उठाकर सुरक्षित स्थान पर रख दें। इस बात का ध्यान रखें कि शंख में रखे हुए चाबल के दाने ना गिरें।
प्रयोग पूरा होने पर चाबल के दाने किसी सफेद कपडे में बांध कर अपने सन्दुक में या किसी भी सुरक्षित स्थान पर रख दें। ऐसा करने पर बह पुरूष या स्त्री प्रयोग करने बाले के बश में रहेगी और बह जैसा चाहता है उसी प्रकार से कार्य सम्पन्न होगा। जब उसे इस बशिकरण मंत्र से मुक्ति देनी हो तो उस पोटली में से चाबल के दाने निकाल कर किसी नदी या तालाब या पबित्र स्थान पर डाल देने से बह उस बशिकरण प्रभाब से मुक्त हो जाता है।
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