बीर्य –स्तम्भन तंत्र :
1) दुमुँहे साँप की हड्डी तथा काले साँप की हड्डी को कमर में बाँध कर मैथुन करने से, जब तक हड्डीयों को खोलकर अलग नहीं कर दिया जायगा, तब तक बीर्य स्खलित नहीं होगा।
2) ऊँट की हड्डी में छेद करके पलंग के सिरहान की और बाँध दें । फिर, उसी पलंग पर मैथुन करें तो जब तक हड्डी को हटाया नहीं जायगा, बीर्य स्खलित नहीं होगा ।
3) ऊँट के बालों की रस्सी बँटकर, उसे अपनी जाँघ में बाँधकर मैथुन करे तो जब तक उस रस्सी को खोलकर अलग नहीं कर दिया जायगा, तब तक बीर्य स्खलित नहीं होगा ।
4) कमल गट्टे को शहद के साथ पीसकर नाभि के ऊपर लेप करके मैथुन करें । जब तक लेप लगा रहेगा, तब तक बिर्य स्खलित नहीं होगा ।
5) सुअर के दायें दांत को कमर में बाँध कर मैथुन करने से जब तक उसे खोल कर अलग नहीं कर दिया जायगा, तब तक बीर्य स्खलित नहीं होगा ।
6) रबिबार को घोड़े और खच्चर की पूंछ को एक –एक बाल लाकर, उसमें पीली कोडी को छेद करके गूंद दें । तत्पश्चात् उसे अपनी दाई भुजा में बाँधकर मैथुन करें जब तक उसे खोलकर अलग नहीं किया जायगा, तब तक बीर्य स्खलित नहीं होगा ।
7) सफ़ेद आम के बृक्ष की जड़ को कमर में बाँधकर मैथुन करने से बहुत देर तक बीर्य स्खलित नहीं होता ।
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