रक्त बिकार से उत्पन्न होने बाला यह रोग अधिकतर युबाबस्था में होता है। बय-सन्धि में आने पर शरीर के रसायनिक तत्वों का सन्तुलन गडबडा जाता है और चेहरे पर कील-मुंहासे, दाग, धब्बे, मस्सों आदि के दाने चेहरे पर उभर आते हैं। श्वेत ग्रंथियों से स्रेबित होने बाला तत्व सीबम इस रोग का कारण है। सीबम के अधिक मात्रा में निकलने से चेहरे पर चिकनाई की मात्रा अधिक हो जाती है। ऐसी त्वचा पर धूल, मिट्टी के कण से कील मुंहासों की उत्पति होती है।
मेष तथा बृशिचक राशि के जातक मुंहासों से अधिक दु:खी होते हैं। पीडित शुक्र और केतु का संचार मेष, तुला और मकर राशियों में हो तथा इन पर शत्रु ग्रहों की दृष्टि भी हो तो मुंहासे निकलते हैं।
चांदी की अंगूठी में ८ या १० रत्ती का सफेद मूंगा अथबा ४ से १० रत्ती का मोती संजीबनि मंत्र से अभिमंत्रित करके अपना मध्यमा अंगुली में पहनें, साथ ही छोटी अंगुली में लाजाबर्त पहनें। यदि मूंगा अनुकूल न आये तो केबल चांदी की अंगूठी ही धारण करें।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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जय माँ कामाख्या
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