ग्रह पीड़ा नाशक मंत्र :
मंत्र : “ॐ नमो भास्कराय अमुक्स्य सर्बग्रहाणां पीड़ानाशनं कुरु कुरु स्वाहा ।”
यह मंत्र 10000 की संख्या में जपने से सिद्ध होता हैं । मंत्र में जंहाँ “अमुकं” शव्द आया बहां साध्य ब्यक्ति के है नाम का उचारण करना चाहिए ।
प्रयोग – इस मंत्र की प्रयोग बिधि निम्ननुसार है –
एक हांडी में मदार की जड़, धतूरे और अपमार्ग का दूध, बरगद तथा पीपल की जड़, शमी, आम और गुलर के पत्ते, घी, दूध, चाबल, चना, मूंग, गेहुं, तिल, शहद तथा मटठा भरकर, घड़े को उक्त मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करके , शनिबार के दिन पीपल के बृक्ष की जड़ में गाढ़ देना चाहिए । इससे साध्य – ब्यक्ति की ग्रह –पीड़ा नष्ट हो जाती है तथा उसे फिर कभी जीबन भर ग्रह पीड़ा नहीं होती ।
यह प्रयोग दरिद्रता एबं पापों को भी नष्ट करने बाला है ।
ज्योतिष संभाबनाओं का बिज्ञान है। बाबजूद इसके आपका ज्ञान पका है तो सभाबनाएं भी परिनामों में बदल जाती हैं। एक ज्योतिष भी तो यही करता है । आपको “दुबिधा से बचाने सुबिधा” का मार्ग प्रशस्त करता है। ज्योतिष के सटीक उपाय 80 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक फायदा जरुर पहुंचाते हैं। आप भी यह दिया गया प्रयोगं और उपायों को बेहिचक आजमा सकते हैं ।इन प्रयोगों से आपकी समस्याएं निशिचत रूप से हल हो जाएंगी , फिर भी यदि आप कुंडली दिखाकर कुछ और भी जानना चाहते है तो मोबाइल नो 9438741641 पर संपर्क कर सकते हैं।