यह तन्त्र प्रयोग (Maranasan Rogi Ko Bachane Ka Tantra) प्राचीन समय में बहुत ही ज्यादा प्रयोग किया जाता था । यह तन्त्र प्रयोग बिलकुल आसन हैं और इसमें खर्चे की कोई गुंजाईश ही नहीं अर्थात यह तन्त्र प्रयोग बिलकुल फ्री में किया जा सकता हैं और रुपया खर्चे की अगर बात करें तो ज्यादा से ज्यादा 1 से 5 रुपया तक ही और मरणासन व्यक्ति बिल्कुल ठीक हो जायेगा जरूरत हैं तो वो हैं केवल विश्वास की । तो चलिए वो कोन सा उपाय (Maranasan Rogi Ko bachane Ka Tantra) हैं जो किसी भी मरणासन व्यक्ति को भी बचा सकता हैं अकाल मृत्यु से ।
Maranasan Rogi Ko Bachane Ka Tantra Upay :
सबसे पहले आप या जो व्यक्ति यह प्रयोग (Maranasan Rogi Ko Bachane Ka Tantra Upay) करने वाला हैं वह पहले तो नहाले और साफ़ कपड़े पहन कर घर में बने मंदिर या कोई भी साफ़ स्वच्छ जगह पर बैठ कर अपनी कुल देवी देवता आदि को प्रार्थना करे और माँ गायत्री दुर्गा से भी प्रार्थना करे की आपका कार्य सफल हो फिर प्रयोगकर्ता 108 बार गायत्री मन्त्र का जाप करे और फिर आगे की विधि करे जो इस प्रकार से हैं –
मरणासन व्यक्ति जो किसी चारपाई, खाट, बेड या पलंग पर लेटा हो उसकी उसी खाट में से बान (जेवड़ी या रस्सी जो की नारियल की जटाओ की बनी होती हैं और आज भी कई गावों में व् शहरो में खाट या चारपाई बनाने में इस्तेमाल की जाती हैं ) एक बड़ा सा टुकड़ा निकाल लो । यदि वो व्यक्ति किसी खाट पर नही लेटा हुआ हैं तो किसी भी खाट की बान/ जेवड़ी/ रस्सी का इस्तेमाल कर सकतें हैं । अब उस जेवड़ी को रोगी के सिर से पैर तक नाप लो यानी वो बान/ जेवड़ी/ रस्सी रोगी की लम्बाई के बराबर काट कर लो । आप अब उस बान/ जेवड़ी/ रस्सी के दोनों सिरों को पकड़ कर उस बान/ जेवड़ी/ रस्सी को दुलड यानी दोनो सिरों को मिला लो ।
और उस बान/ जेवड़ी/ रस्सी को सरसोँ के तेल में भीगा लो । फिर उस बान/ जेवड़ी/ रस्सी को रोगी के सिर हाथ कंधे पैर सभी जगह छुआते हुए 7 बार रोगी से ऊपर से उतारा करे और मन ही मन ये मन्त्र पढ़े –
मंत्र : “नासै रोग हरे सब पीरा । जपत निरन्तर हनुमत वीरा ।।”
या फिर यह मन्त्र पढ़े –
मंत्र : “रोगान शेषान पहंसी तुष्टा रुष्टातु कमान सकलान भोष्टान ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्या श्रयन्ता पर्यान्ति ।।”
और उस बान/ जेवड़ी/ रस्सी को रोगी के पैरो की तरफ उस रोगी से थोड़ी दूर किसी किल आदि पर टांग दे या किसी चाकू या लोहे की छड़ी से उसे रोगी की पैरो की दिशा में पकड़ कर खड़े हो जाये और उस बान/ जेवड़ी/ रस्सी के दोनों सिरों में आग लगा दें । आग की लपटें तेज़ी से ऊपर की और बढ़ेगी और उसमे सर्र सर्र की आवाज़ आएगी । आप निचे जमींन पर कोई बर्तन या मिट्टी पहले से ही रख ले क्योंकि बान/ जेवड़ी/ रस्सी जलते समय तेल की बुँदे निचे गिरती रहेगी । रोगी को पहले ही बता देना चाहिए को वह उस बान/जेवड़ी/ रस्सी को जलते हुए देखें । यह प्रयोग (Maranasan Rogi Ko Bachane Ka Tantra) रोगी के पैरो की तरफ उससे थोड़ी दूर करना चाहिए और आस पास कोई अन्य कपडा आदि नहीं होना चाहिए नहीं तो आग फ़ैल सकती हैं । बस इतना सा प्रयोग करना हैं और वो रोगी थोड़े ही समय में बिल्कुल ठीक हो जायेगा । और आपको दुआये मिलेगी । नज़र के रोगी (जिनको किसी की बुरी नज़र लग जाती हैं ) को भी इसी प्रयोग के द्वारा ठीक किया जा सकता हैं ।
इसी तन्त्र प्रयोग (Maranasan Rogi Ko Bachane Ka Tantra) से आप पशुओं की पीड़ा भी दूर कर सकते हैं जैसे नजर लगना , दूध न देना, आलस करना या अन्य कोई भी पीड़ा हो सब इसी प्रयोग से ठीक हो जाएगी ।
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जय माँ कामाख्या