शादी के बाद पति-पत्नी के बीच की परेशानियां के ज्योतिषीय उपाय :
विवाह के बाद कुछ दंपत्तियों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन परेशानियों के कारण वैवाहिक जीवन से सुख और समृद्धि गायब हो जाती है। ऐसी परिस्थिति में पति-पत्नी को आपसी समझदारी से काम लेना चाहिए, साथ ही ज्योतिष के अनुसार बताए गए कुछ उपाय भी करना चाहिए।यदि पति-पत्नी के बीच की परेशानियां कुंडली में स्थित ग्रह दोषों के कारण उत्पन्न हो रही हैं तो उनका उपचार ज्योतिषीय उपायों से ही किया जा सकता है। पति-पत्नी अपनी-अपनी कुंडली के लग्न अनुसार उपाय करेंगे तो वैवाहिक जीवन की कई समस्याएं स्वत: ही समाप्त हो जाएंगी। कुंडली के प्रथम भाव को लग्न भाव कहा जाता है। यह भाव जिस राशि का होता है, कुंडली उसी राशि के लग्न की मानी जाती है।
कुंडली के लग्न अनुसार किए जाने वाले उपाय …
मेष लग्न के लोगों के लिए दांपत्य सुख का कारक शुक्र ग्रह होता है। ये लोग वैवाहिक सुख पाने के लिए नियमित रूप से गाय व पक्षियों को चावल खिलाएं। स्त्रियां मां पार्वती को समर्पित सिंदूर अपनी मांग में लगाएं।
वृष लग्न के लोगों के लिए दांपत्य सुख के सप्तम भाव का कारक मंगल ग्रह होता है। वृष लग्न के व्यक्ति लाल वस्त्र में सौंफ बांधकर अपने शयनकक्ष में रखें और इसे समय-समय पर बदलते रहें।
जिन लोगों की कुंडली मिथुन लग्न की है, उनकी कुंडली में दांपत्य सुख का कारक गुरु ग्रह होता है। इस लग्न के लोगों को गुरुवार का व्रत रखना चाहिए और इस दिन एक समय भोजन करना चाहिए। साथ ही, शिवलिंग पर चने की दाल अर्पित करें।
कर्क लग्न की कुंडली में वैवाहिक जीवन के भाव का कारक शनि ग्रह होता है। अधिकांश मामलों में इस लग्न के लोगों का दांपत्य जीवन बहुत सुखी नहीं कहा जा सकता। शनिवार व मंगलवार की शाम पति-पत्नी हनुमानजी के दर्शन करने जाएं। साथ ही, हनुमान चालीसा का पाठ करें।
जिन लोगों की कुंडली सिंह लग्न की है, उनकी कुंडली में वैवाहिक सुख का कारक शनि होता है। ये लोग शनिपुष्य नक्षत्र में नाव की कील से बना छल्ला मध्यमा उंगली में धारण करें।
कन्या लग्न की कुंडली में दांपत्य सुख का कारक ग्रह बृहस्पति होता है। इस लग्न के लोगों को भगवान लक्ष्मीनारायण की आराधना करनी चाहिए। साथ ही, हर गुरुवार को केले के पौधे में जल अर्पित करें।
तुला लग्न की कुंडली में दांपत्य सुख का कारक ग्रह मंगल होता है। इस लग्न के लोगों को मंगलवार का व्रत रखना चाहिए। दिन में एक समय भोजन करें और भोजन में मीठा व्यंजन अवश्य शामिल करें। साथ ही, शिवलिंग पर लाल पुष्प अर्पित करें।
कुंडली में वृश्चिक लग्न :
वृश्चिक लग्न की कुंडली में दांपत्य सुख का कारक ग्रह शुक्र है। अत: शुक्र को प्रसन्न करने के लिए किसी ऐसे स्थान पर जाएं, जहां मछलियां हों और वहां मछलियों को मिश्रीयुक्त उबले चावल खिलाएं।
धनु लग्न के लोगों के लिए दांपत्य सुख का कारक बुध ग्रह है। इन लोगों को भगवान गणपति की आराधना करनी चाहिए। हर बुधवार गणेशजी को दूर्वा अर्पित करें।
मकर लग्न की कुंडली में दांपत्य सुख का कारक चंद्रमा होता है। अत: इन लोगों को गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। साथ ही, चांदी का बना चंद्रमा यंत्र गंगा जल से पवित्र करके पूजा घर में रखें। हर पूर्णिमा पर गंगा जल से इस यंत्र को स्नान कराएं और नियमित रूप से पूजन करें।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली कुंभ लग्न की है तो उसमें वैवाहिक सुख का कारक सूर्य ग्रह है। कारक ग्रह को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन सूर्य को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें।
जिन लोगों की कुंडली मीन लग्न की है, उनकी कुंडली में दांपत्य सुख का कारक ग्रह बुध होता है। इन लोगों को हर बुधवार भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। पूजन के बाद किसी गाय को हरी घास भी खिलाएं।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार : मो. 9438741641 {Call / Whatsapp}
जय माँ कामाख्या