अदृश्य होने का परम गुप्त तंत्र साधना

अदृश्य होने का तंत्र साधना :

अदृश्य होने का तंत्र : गुरुबार (बृहस्पतिबार) की अर्धरात्रि के समय एक कौए को पकड़ लें । कौए को पकड़कर घर लौटने से पहले सात कदम उलटे चलें । फिर सीधा मुंह करके चले आयें । घर आकर कौए की आँखों को लाल रंग के कपडे से बाँध देना चाहिए । बह आँख पर बंधी पट्टी को हटाने का प्रयत्न करेगा पट्टी को पहले से ही इस प्रकार बाँधना चाहिए कि कौआ उसे खोल ही न सके ।

जब आप यह देखे की कौए की आँखों पर रात भर पट्टी बंधी रही है तब आप यह समझ लीजिए कि अब आपकी अदृश्य होने का तंत्र साधना सफल हो जायेगी ।

प्रात: काल कौए की आखों पर पट्टी को स्वयं खोल लें और उसकी आखों में दो दो बूंद गुलाबजल डालें । उसी दिन शाम को जब सूर्य अस्त हो रहा हो, तब कौए के खाने के बर्तन में आधा तोला नारियल का तेल मिलाकर अलग हट जाए ।

आधा घंटे के बाद जाकर देखें कि कौए ने तेलयुक्त मलाई को खा लिया है या नहीं । जब बह मलाई को खा चुके तब उसकी आँखों पर दुबारा पूर्ब रात्रि की भाँती लाल रंग के बस्त्र की पट्टी को बाँध दें ।इस प्रकार छ: दिनों तक पट्टी बाँध दिया करे ।

जब छ: दिन ठीक प्रकार से ब्यतीत हो जाये, तब अगले सात दिन तक एक रत्ती तम्बाकू के पत्तों को गेंहूं के आटे में गूँथ कर उसकी रोटी बनाकर कौए को खिला दिया करें ।

तेरह दिन इस प्रकार अदृश्य होने का तंत्र साधना बीत जाने पर चौदह्बे दिन कौए को मारकर, उसकी आँख निकालकर एक सीप में रख लें । तत्पश्चात जस्त का फूला आधा माशा ,सुहागा आधी रत्ती ,सफ़ेद सुरमा एक तोला , भीमसेनी कपूर आधा माशा तथा नीम के पतों का रस पांच तोला, इन सबको खरल कर उसके साथ ही पुर्बाक्त कौए की आँख भी मिला दे तथा घोटना आरम्भ करें । जब सब चीजें घूट जायें ,तब उन्हें निकालकर एक शीशी में बंद कर कृष्ण पक्ष के सोमबार की रात्री को ठीक दो बजे श्मशान भूमि में जाकर उक्त शीशी को किसी ऐसे स्थान में दो फुट गहरा गड्डा दबा दें, जिसके ऊपर दुसरे दिन प्रात: काल कोई मुर्दा जलने को हो । तब तक उस स्थान पर १५ मनुष्य शब न जल जायें, तब तक शीशी को बंहीं गढ़ा रहने देना चाहिए ।

जब उस स्थान पर मुर्दे जल चुके ,तब शीशी को खोदकर निकाल लायें । शीशी में भरे हुए चूर्ण को सुरमे की भाँति अपनी दोनों आँखों में लगाने बाला ब्यक्ति अदृश्य होने का तंत्र की प्रबाह से सबकी दृष्टि से अदृश्य हो जाता है ।

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चेताबनी : भारतीय संस्कृति में मंत्र तंत्र यन्त्र साधना का बिशेष महत्व है । परन्तु यदि किसी साधक यंहा दी गयी अदृश्य होने का तंत्र साधना के प्रयोग में बिधिबत, बस्तुगत अशुद्धता अथबा त्रुटी के कारण किसी भी प्रकार की कलेश्जनक हानि होती है, अथबा कोई अनिष्ट होता है, तो इसका उत्तरदायित्व स्वयं उसी का होगा ।उसके लिए उत्तरदायी हम नहीं होंगे । अत: कोई भी प्रयोग योग्य ब्यक्ति या जानकरी बिद्वान से ही करे। यंहा हम सिर्फ जानकारी के लिए दिया हुं ।

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