जाने कहा होगा आपका भाग्योदय ?

जाने कहा होगा आपका भाग्योदय ?

भाग्योदय : हर कोई व्यकती अपने भाग्योदय कब होगा उसके बारे में जानना चाहता है । मनुष्य के शेष कर्मो का क्या फल मिलाने वाला है यह सिर्फ ज्योतिष के आधार से ही जान सकते है । इसीलिए हर कोई व्यक्ति अपने कर्मो के फल को खोजना चाहते है और अपने दुखो का निवारण भी प्राप्त करना चाहते है ।
ज्योतिष की माध्यम से हम जन्मपत्रिका में यह देख सकते है की जातक को अपने “जन्मस्थल के पास या उससे दूर” कहा पर सफलता प्राप्त होंगी । यह प्रश्न काफी महत्व भी रखता है क्योंकि घर से दूर सब कुछ नए से शुरू करना काफी मुश्किल भी होता है । अगर इतनी मेहनत के बाद भी सफलता हांसिल न हो तो जातक को बड़ा आघात भी लग सकता है ।
अगर आपका भाग्य बलि है तो आप का दशम भाव भी अच्चा हो तो आप कही पर भी जाकर सफलता प्राप्त कर सकते है । अगर भाग्य स्थान और भाग्य स्थान का स्वामी कमजोर है तो उसमे जातक को काफी परेशानी का सामना करना पड सकता है ।
अनजाने प्रदेश में जाकर बसने के लिए साहसिकता होनी आवश्यक है और उसके लिए जन्म पत्रिका का तिसराभाव देखना अति आवश्यक है । लंबी यात्रा के लिए 12 वे भाव को देखा जाता है । जन्म पत्रिका में चोथा स्थान अपने जन्म स्थान को दर्शाता है इस वजह से उसे और उसके स्वामी को देखना काफी आवश्यक है बहार जाका धन कमाने के लिए धन स्थान को भी देखना आवश्यक है ।
साथ ही मानसिक शक्ति के लिए सूर्य की स्थिति और चन्द्र की स्थिति, साहस के लिए मंगल को भी देखना चाहिए साथ ही दुसरे, तीसरे, चोथे, नॉवे, बारवे और लग्न भाव के एक दुसरे के कनेक्शन को भी देखना चाहिए । ये सब बातो को समजने के बाद हम कुछ योगो को देखते है जिसे हम जन्म पत्रिका में कहा पर आपको भाग्योदय होगा वो देख सकते है ।
जन्म स्थान से नजदीक भाग्योदय योग –
• केंद्र या त्रिकोण का स्वामी होकर चन्द्र केंद्र या त्रिकोण के स्वामी के साथ स्थित हो तो आपके जन्म स्थान के नजदीक भाग्योदय होता है ।
• लग्नेश प्रथम स्थान में स्थित हो ।
• भाग्येश यानी नॉवे भाव का स्वामी केंद्र या त्रिकोण स्थान में हो ।
• धनेश, चोथे भाव का स्वामी, नॉवे भाव का स्वामी और प्रथम भाव का स्वामी मजबूत हो ।
• चोथे भाव का स्वामी चोथे भाव पर दृष्टि करता हो ।
• स्थिर लग्न( वृषभ,सिंह, वृश्चिक, कुंभ ) हो और भाग्येश भी स्थिर राशी में हो ।
• दुसरे, तीसरे, चोथे, नॉवे भाव, या बारवे भाव के स्वामी एक दुसरे से कम सम्बन्ध रखते हो ।
• अगर जातक का रात्रि में जन्म हुआ है तो ये सभी नियमो को चन्द्र कुंडली में देखे ।
जन्म स्थान से दूर भाग्योदय योग-
• लग्न स्थान या लग्नेश के साथ चन्द्र सूर्य सम्बन्ध में आये तब ।
• दुसरे भाव का स्वामी 12 वे भाव में या बारवे भाव का स्वामी दुसरे भाव में स्थित हो ।
• चोथे भाव में पाप गृह हो या चोथे भाव का स्वामी पाप गृह से युक्त हो या, चोथे भाव पर पाप गृह की दृष्टि हो ।
• स्थिर राशी के आलावा दूसरी कोई भी राशी लग्न में हो और भाग्येश भी स्थिर राशी में न हो ।
• दुसरे, तीसरे, चोथे, नॉवे भाव, या बारवे भाव के स्वामी एक दुसरे से सम्बन्ध में हो ।
• भाग्य स्थान और उसका स्वामी मजबूत स्थिति में न हो ।
• लग्नेश की दृष्टि अपने स्थान पर न हो और यह स्थिति नवमांश में भी बन रही हो ।
• दशम भाव का स्वामी मेष, कर्क, तुला, या मकर राशी में हो और यही स्थिति नवमांश मी भी बन रही हो ।
{{ उपरोक्त नियमो को जन्मपत्रिका में लगा कर देखना चाहिए की कोनसी जगह जातक के लिए अच्छी है । ताकि किसी की अच्छी तरह से मदद हो सके । }}

To know more about Tantra & Astrological services, please feel free to Contact Us :

ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार : 9438741641 (call/ whatsapp)

For any type of astrological consultation with Acharya Pradip Kumar, please contact +91-9438741641. Whether it is about personalized horoscope readings, career guidance, relationship issues, health concerns, or any other astrological queries, expert help is just a call away.

Sharing Is Caring:

Leave a Comment