भूतेश्वर साधना के फायदे क्या हैं?

भूतेश्वर साधना के फायदे क्या हैं ?

ओम आं भूतेश्वर: आगछ गछ स्वाहा।
भूतेश्वर साधना बिधि : यह भूतेश्वर साधना सिद्ध साधक ही करते हैं जो प्रतिदिन शमशांनदि में रहकर तंत्र-मंत्र सिद्धियां किया करते हैं । उनके लिये यह भूतेश्वर साधना उपयुक्त है । सामान्य साधक इससे दूर ही रहे । इस भूतेश्वर साधना को कृष्ण पख्य में किसी भी रबिबार के दिन आधी रात में भगबान शिब के सामने बैठकर साधक उपरोक्त मंत्र का आठ हज़ार की संख्या में जाप करे । लेकिन यह साधना किसी एकान्त मे करें । क्योंकि इसमें मांस-मदिरा आदि चढाया जाता है या साधक के पास रखना अति आबश्यक है जब मांगा जायेगा तब दिया जायेगा । जब साधक प्रथम दिन आठ हज़ार जप पुर्ण कर लेगा तब यह सिद्ध होगा और सिद्ध होते ही साधक को प्रथम रात्रि में सप्नों में आकर दर्शन देगा । फिर दुसरी रात्रि में साधक के सामने प्रत्यख्य होगा । लेकिन भूतेश्वर दर्शन देने पर भी मौन ही रहेगा बोलेगा नहीं । इसके बाद तीसरी रात्रि में पुन: साधक के सामने प्रकट होकर नाना प्रकार के रुप धारण करेगा जो अत्यधिक भयंकर एबं डराबने होंगे । इन स्वरुपों को धारण करके साधक को भयभीत करने की कोशिश करेगा । अगर साधक उस समय भय के कारण घबरा गया या आसन छोडकर भागा तो भूतेश्वर साधना खन्डित ब भंग हो जायेगी । इससे संकट उत्पन्न हो जायेगा । जो साधक डरा हो या डरपोक हो उसे यह भूतेश्वर साधना नही करना चाहिये । यह निडर एबं हिम्म्त बाले साधकों के लिये, ठीक रहती है । इस प्रकार अगर भूतेश्वर के प्रकट होने पर साधक नहीं डरा तो साधक को प्रेत पूछेगा कि मुझे कयों बुलाया है । तब साधक उसे तुरंत कहे कि तुम मेरे बश में और आधीन हो जाओ तथा मेरे बश रहकर मेरा कार्य करो और इसके बदले में, तुम्हें भोजन दुंग । जब भूतेश्वर साधक की इछानुसार बचन एबंग बर देवे तब उसे मंदिरा और मांस कि बलि प्रदन करे । इससें भुतेस्वर सिद्ध प्राप्त हो जायेगि और साधक की गुलामी जीबन भर करेगा ।
नोट : बिना गुरु आज्ञा के भूतेश्वर साधना ना करे । प्राणॉ से हाथ धोना पड सकता है. ईसके स्वयं जिम्मेदार होंगे ।

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जय माँ कामाख्या

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