भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति का प्रभावशाली उपाय

Bhoot-Pret Badha Se Mukti Ka Prabhavashali Upay

अपनी इच्छाओं और अधूरी आंकाक्षाओं को पूरा करने के लिए कुछ आत्माएँ मरने के बाद भी वापिस आती हैं। इसके अलावा अगर अपने संबंधियों या परिचितों के साथ उनका कोई हिसाब बकाया रह जाता है, तो भी उनकी आत्मा को शाँति नहीं मिलती और वह उस लेन-देन को पूरा करने के लिए जीवित लोगों की दुनिया में लौट आती है।
बिना शरीर के मृत आत्माएं अपनी इच्छाओं को पूरा नहीं कर सकतीं, इसीलिए उन्हें एक शरीर की आवश्यकता पड़ती है। वह किसी व्यक्ति के शरीर में वास कर अपनी अधूरी इच्छाओं को पूरा करती हैं। यह उनकी इच्छा की गहराई और उसके पूरे होने की समय सीमा पर निर्भर करता है कि वह किसी व्यक्ति के शरीर में कितनी देर तक ठहरते हैं। यह अवधि कुछ घंटों या सालों की भी हो सकती है। कई बार तो जन्मों-जन्मों तक वह आत्मा उस व्यक्ति का पीछा नहीं छोड़ती।
 
पशु, विशेष रूप से कुत्ता और बिल्ली, किसी आत्मा या पिशाच की उपस्थिति को सबसे पहले भाँप लेते हैं। अगर रात के समय कोई कुत्ता बिना किसी कारण के भौंकने लगे या अचानक शाँत होकर बैठ जाए तो इसका मतलब है उसने किसी पारलौकिक शक्ति का अहसास किया है।
झगड़े या विवाद के पश्चात किसी भूमि या इमारत का अधिग्रहण किया जाता है और इस झगड़े के कारण मालिक की मृत्यु हो जाती है, तो वह जगह भूतिया-प्रेत ग्रस्त हो जाती है। निश्चित तौर पर वहाँ दुरात्माएँ अपना डेरा जमा लेती हैं।
जीवित अवस्था में व्यक्ति विशेष को जो वस्तु, घर, स्थान आदि प्रिय हो उस वस्तु को प्रेतावस्था, भूत-प्रेत योनि में जाने के बाद वह आत्मा यह बर्दाश्त नहीं करती कि कोई अन्य व्यक्ति उसका उपयोग-उपभोग करे। पारलौकिक शक्तियों को वश में करने की यह विद्या का प्रयोग कोई भी व्यक्ति अकेले करने की चेष्टा न करे, तो बेहतर होगा। जिनका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता। नजर दोष, भूत-प्रेत बाधा (Bhoot-Pret Badha) आदि से मुक्ति हेतु उपाय ही करने चाहिए टोना या टोटके नहीं।
 
नदी, पुल या सड़क पार करते समय भगवान् का स्मरण जरूर करें। एकांत में शयन या यात्रा करते समय पवित्रता का ध्यान रखें। पेशाब करने के बाद हाथ अवश्य धोयें। उचित जगह देखकर ही पेशाब करें। रात्रि में सोने से पूर्व भूत-प्रेत पर चर्चा न करें। किसी भी प्रकार के टोने-टोटकों से बच कर रहें।
ऐसे स्थान पर न जाएं, जहाँ पर तांत्रिक अनुष्ठान होता हो। जहाँ पर किसी पशु की बलि दी जाती हो या जहाँ भी लोभान आदि के धुएं से भूत भगाने का दावा किया जाता हो। भूत भागाने वाले सभी स्थानों से बच कर रहें, क्योंकि यह धर्म और पवित्रता के विरुद्ध है।
जो लोग भूत, प्रेत या पितरों की उपासना करते हैं, वह राक्षसी कर्म करने वाले होते हैं। ऐसे लोगों का संपूर्ण जीवन ही भूतों के अधीन रहता है। भूत-प्रेत (Bhoot-Pret Badha) से बचने के लिए ऐसे कोई भी टोने-टोटके न करें जो धर्म विरुद्ध हो। हो सकता है, इससे तात्कालिक लाभ मिल जाए, लेकिन अंतत: जीवन भर परेशान ही रहना पड़ेगा।
 
एक ऐसी ताकत जो ना तो नुकसान पहुँचा रही है न ही कोई परेशानी खड़ी कर रही है लेकिन फिर भी उसका दिखाई ना देना लिए कितना भयावह है।
चरक संहिता में प्रेत बाधा (Bhoot-Pret Badha) से पीड़ित रोगी के लक्षण और निदान के उपाय विस्तार से मिलते हैं। ज्योतिष के मूल ग्रंथों यथा :– प्रश्नमार्ग, वृहत्पराषर, होरा सार, फलदीपिका, मानसागरी आदि में ज्योतिषीय योग हैं, जो प्रेत पीड़ा, पितृ दोष आदि बाधाओं से मुक्ति का उपाय बताते हैं। अथर्ववेद में भूतों और दुष्ट आत्माओं को भगाने से संबंधित अनेक उपायों का वर्णन मिलता है। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं :-
(10.1). ॐ या रुद्राक्ष का अभिमंत्रित लॉकेट गले में पहने और घर के बाहर एक त्रिशूल में जड़ा ॐ का प्रतीक दरवाजे के ऊपर लगाएं। सिर पर चंदन, केसर या भभूति का तिलक लगाएं। हाथ में मौली-कलावा अवश्य बाँधकर रखें।
(10.2). दीपावली के दिन सरसों के तेल का या शुद्ध घी का दिया जलाकर काजल बना लें। यह काजल लगाने से भूत-प्रेत (Bhoot-Pret Badha), पिशाच, डाकिनी आदि से रक्षा होती है और बुरी नजर से भी रक्षा होती है।
(10.3). घर में रात्रि को भोजन पश्चात सोने से पूर्व चांदी की कटोरी में देवस्थान या किसी अन्य पवित्र स्थल पर कपूर तथा लौंग जला दें। इससे आकस्मिक, दैहिक, दैविक एवं भौतिक संकटों (Bhoot-Pret Badha) से मुक्त मिलती है।
(10.4). प्रेत बाधा (Bhoot-Pret Badha) दूर करने के लिए पुष्य नक्षत्र में चिड़चिटे अथवा धतूरे का पौधा जड़सहित उखाड़ कर उसे धरती में ऐसा दबाएं कि जड़ वाला भाग ऊपर रहे और पूरा पौधा धरती में समा जाएं। इस उपाय से घर में प्रेतबाधा (Bhoot-Pret Badha) नहीं रहती और व्यक्ति सुख-शांति का अनुभव करता है।
“ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत पिशाच-शाकिनी-डाकिनी-यक्षणी-पूतना-मारी-महामारी, यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम् क्षणेन हन हन भंजय भंजय मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामारेश्वर रुद्रावतार हुं फट् स्वाहा।”
इस हनुमान मंत्र का पांच बार जाप करने से भूत कभी भी निकट नहीं आ सकते।
(10.6). अशोक वृक्ष के सात पत्ते मंदिर में रख कर पूजा करें। उनके सूखने पर नए पत्ते रखें और पुराने पत्ते पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। यह क्रिया नियमित रूप से करें, आपका घर भूत-प्रेत बाधा (Bhoot-Pret Badha), नजर दोष आदि से मुक्त रहेगा।
(10.7). गणेश जी महाराज को एक पूरी सुपारी रोज चढ़ाएं और एक कटोरी चावल दान करें। यह क्रिया एक वर्ष तक करें, नजर दोष व भूत-प्रेत बाधा (Bhoot-Pret Badha) आदि के कारण बाधित सभी कार्य पूरे होंगे।
(10.8). माँ काली के लिए उनके नाम से प्रतिदिन अच्छी तरह से पवित्र की हुई दो अगरबत्ती सुबह और दो दिन ढलने से पूर्व लगाएं और उनसे घर और शरीर की रक्षा करने की प्रार्थना करें।
(10.9). हनुमान चालीसा और गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें और हनुमान मंदिर में हनुमान जी का श्रृंगार करें व चोला चढ़ाएं।
(10.10). मंगलवार या शनिवार के दिन बजरंग बाण का पाठ शुरू करें। यह डर और भय को भगाने का सबसे अच्छा उपाय है। सदा हनुमानजी का स्मरण करें। चतुर्थी, तेरस, चौदस और अमावस्या को पवि‍त्रता का पालन करें। शराब न पीएं और न ही माँस का सेवन करें।
जिन घरों में प्रतिदिन नियम पूर्वक पूजा पाठ, शँख-घंटा ध्वनि होती है वहाँ दुरात्माएँ अपना प्रभाव नहीं दिखा पातीं।
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जय माँ कामाख्या

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