यक्षिणी और किन्नरी मंत्र साधना

Yakshini Aur Kinnari Mantra :

Yakshini Aur Kinnari Mantra के इस ब्लॉग पर आपको 22 यक्षिणी और किन्नरी की मंत्र (yakshini aur kinnari mantra) दिया गया है ।आगे आपको इसका सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाएगा । यक्षिणी और किन्नरी दो प्रमुख प्रकार के पौराणिक और ऐतिहासिक जीवों को संदर्भित करते हैं । यक्षिणी एक प्रकार की परी होती है जो भारतीय मिथक और लोक कथाओं में उल्लेखित है। वे आकर्षक और अपरिचित दिखती हैं और अक्सर अपनी मोहकता से मानव मस्तिष्क को भ्रमित करती हैं। संपूर्ण विस्मय के साथ ऑफर और रत्नों के श्रृंगार में विलीन होती हैं, वे अपार धन के स्वामी माने जाते हैं।

दूसरी ओर, किन्नरी अल्पसंख्यक जीवों की एक प्रकार हैं जो हिन्दू पौराणिक कथाओं और लोकतांत्रिक कहानियों में उच्च मान्यता रखते हैं । ये पुरुष और स्त्री दोनों रूपों में पाए जाते हैं और मानवों की तुलना में अत्यधिक सुंदर और आकर्षक होते हैं। किन्नरी को संगीत, नृत्य, और कला के स्थान के रूप में प्रतिष्ठित भी माना जाता है।

“यक्षिणी और किन्नरी मंत्र (Yakshini Aur Kinnari Mantra)” ऐसे मंत्र हो सकते हैं जो इन इंसान द्वेषी और शापित प्राणियों को अनुकरण करके भक्तों को सुरक्षा और समृद्धि की कल्पना कराते हैं । इन यक्षिणी और किन्नरी मंत्र (Yakshini Aur Kinnari Mantra) का जाप करने का प्रयास किया जाता है ताकि प्रभावी तरीके से यक्षिणी और किन्नरी की कृपा प्राप्त हो सके ।

कृपया ध्यान दें कि यह मानवीय यक्षिणी और किन्नरी जीवों और यक्षिणी और किन्नरी मंत्र (Yakshini Aur Kinnari Mantra) पर पौराणिक परंपरा और मान्यताओं पर आधारित है, और इसे धार्मिक या आध्यात्मिक प्रयास के रूप में लिया जाना चाहिए ।

“ॐ यक्षाय कुबेराय धनधान्यधिपतये धनधान्य समृद्धि में देहि दापय स्वाहा ।”

लक्ष्मी यक्षिणी – ॐ ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्ये नम:।
कामेश्वरी यक्षिणी – ॐ आगच्छ कामेश्वरी स्वाहा।
कनाकाबती यक्षिणी – ॐ कनकाबती मैथुन प्रिये स्वाहा।
रतिप्रिया यक्षिणी – ॐ आगच्छ रति सुन्दरी स्वाहा।
घंटा यक्षिणी – ॐ ऐ पुरं क्षोभय भगबती गंभीर स्वरे कलै स्वाहा।
महेंद्री यक्षिणी – ॐ ऐ क्लीं ऐन्द्री माहेन्द्री कुलु कुलु चुलू चुलू हंस स्वाहा।
शंखिनी यक्षिणी – ॐ शंख धारिणी शंखभरणी ह्रीं ह्रीं क्लीं क्लीं क्लीं श्री स्वाहा।
सुलोचना यक्षिणी – ॐ क्लीं सुलोचानादि देबी स्वाहा।
स्वामीश्वरी यक्षिणी – ॐ ह्रीं आगच्छ स्वामीश्वरी स्वाहा।
भूतलोचना यक्षिणी – ॐ भूते सुलोचनेत्वम्।
अशुभक्षया धामी यक्षिणी – ॐ ऐ क्लीं नम:।
उछिष्ट यक्षिणी – ॐ जगभय माद्दे मद्द्निभे स्वाहा।
सुशोभना यक्षिणी – ॐ अशोक पल्ल्बा कारकर तेले शोभने देबी श्री क्ष: स्वाहा।
श्मशानी यक्षिणी – ॐ हूँ ह्रीं क्लीं क्ले स्फुं श्मशान बासिनी श्मशाने स्वाहा।
कापालिनी यक्षिणी – ॐ ऐ कपालिनी हाँ ह्रीं क्लीं क्ले क्लौ हस सकल ह्रीं फट स्वाहा।
दिबाकीर किन्नरी मंत्र – ॐ दिबाकीरमुखी स्वाहा।
बिशाला किन्नरी मंत्र – ॐ बिशाला बिशालनेत्रे स्वाहा।
सुभगा किन्नरी मंत्र – ॐ ह्रीं सुभगे स्वाहा।
मनोहारी किन्नरी मंत्र – ॐ ह्रीं मनोहार्ये नम:।
सुरतिप्रिये किन्नरी मंत्र – ॐ ह्रीं सुरतिप्रिये स्वाहा।
मंजुघोष किन्नरी मंत्र – ॐ मंजुघोष आगच्छगछ स्वाहा।
अश्वमुखी किन्नरी मंत्र – ॐ ह्रीं अश्वमुखी स्वाहा।

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