छतीस यक्षिणीयाँ मंत्र

36 Yakshini Mantras :

ये सभी सिद्धि प्रदा है । यंहा संक्षेप में इनका बिधान प्रस्तुत कर रहा हूँ ।

1. Bichitra Yakshini Mantra –

मंत्र : “ॐ बिचित्रे, चित्र्रुपिणी में सिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ।”
बट बृक्ष के निचे दो लाख जप करे । मधु और घृत मिश्रित चम्पा पुष्पों द्वारा दशांश हबन करे ।

2. Bibhrama Yakshini Mantra :

मंत्र :“ॐ ह्रीं बिभ्रमे बिभ्रमाडं रुपे बिभ्रमं कुरु रहिं रहिं भगबति स्वाहा” ।
रात्रि में श्मशान में बैठकर दो लाख जप करे । घृत गुग्गुल से दशांश हबन करे । प्रसन्न होकर बिभ्रमा यक्षिणी नित्य पचास ब्यक्तियों के पालन हेतु भोजन तथा द्रब्य प्रदान करती हैं ।

3. Hanshi Yakshini Mantra :

a) “ॐ द्वी नमो हंसि हंस बाहिनि क्लीं क्लीं स्वाहा ” ।
b) हंसि हंसाहाने ह्रीं स्वाहा ।

नगर या ग्राम के एकान्त स्थान में उक्त मंत्र का एक लाख जप करें । घृत मिश्रित कमल की पंखुड़ियों से दशांश हबन करे । प्रसन्न होकर हंसी यक्षिणी ऐसा अन्जन प्रदान करेंगी, जिससे पृथ्बी में छिपे धन को देख सकेंगे । सभी बिघ्न दूर होंगे ।

4. Bhishni Yakshini Mantra :

a) “ॐ ऐ द्रीं महामोदे भीषणी द्रां द्रां स्वाहा” ।
b) “ॐ ऐ महानादे भिक्षिणी स्वाहा” ।
जहाँ तीन मार्ग मिलते हों अर्थात तिराहें पर आसन लगाकर उक्त मंत्र का एक लाख जप कर घृत युक्त गुग्गुल से दशांश हबन करें । भिषणी यक्षिणी प्रसन्न होकर सभी कामनाएं पूर्ण करेंगी ।

5. Janranjini Yakshini Mantra :

a) “ॐ ह्रीं क्लीं जनरंजिनी स्वाहा” ।
b) “ॐ कलें जनरंजिनी स्वाहा” ।
कदम्ब बृक्ष के नीचे रात्रि में उक्त मंत्र का दो लाख जप करे। घृत युक्त गुग्गुल से दशांश हबन करे । यक्षिणी देबी सौभाग्य प्रदान करेंगी ।

6. Bishala Yakshini Mantra :

a) “ॐ ऐ ह्रीं बिशाले सत्रा सत्रीं एहोहि स्वाहा” ।
b) “ॐ ऐ बिशाले हां ह्रीं क्लीं स्वाहा” ।
चित्रा बृक्ष के नीचे उक्त मंत्र का एक लाख जप करें । घृत युक्त कमल पुष्पों से दशांश हबन करें । आकाश गामिनी बिशाला यक्षिणी प्रसन्न होकर दिव्य रसायन प्रदान करेंगी ।

7. Madana Yakshini Mantra :

a) “ॐ ह्रीं मदने मदन बिडम्बिनि आलये सडगमं देहि देहि श्रीं स्वाहा ।
b) “ॐ मदने मदने देबि ममालिंग्य सडेग देहि देहि श्रीं: स्वाहा” ।
राज द्वार पर बैठकर उक्त मंत्र का एक लाख जप करें । दुग्ध मिश्रित चमेली पुष्पों से दशांश हबन करें । मदना यक्षिणी प्रसन्न होकर गुटिका प्रदान करेंगी, जिसे मुख में रखकर अदृश्य हो सकेंगे ।

8. Ghantakarni Yakshini Mantra :

a) “ॐ ऐ द्रीं पुरीं क्षोभय प्रजा: क्षोभय भगबति गम्भीर स्वने स्वप्रे स्वाहा” ।
b) “ॐ यक्षिणी आकर्षिर्णी घंटार्ण घंटाकर्ण बिशाले मम स्वप्नं दर्शय दर्शय स्वाहा” ।
c) “ॐ ऐ पुरं क्षोभय क्षोभय भगति गम्भीर स्वरे कलैं स्वाहा” ।
घण्टे को बजाते हुए एकांत में उक्त मंत्र का २० सहस्र जप करें । सारा संसार बशीभूत हो जायेगा ।

9. Kaalkarni Yakshini Mantra :

a) “ॐ हुं कालकर्णी ठ: ठ: स्वाहा” ।
b) “ॐ ल्बें कालकर्णीके ट: ट: स्वाहा” ।
इस मंत्र का एक लाख जप कर पलाश की समिधा से मधु के द्वारा दशांश हबन करें । कालकर्णी यक्षिणी प्रसन्न होकर सुख देगी और शत्रु का स्तम्भन करेंगी ।

10. Mahabhaya Yakshini Mantra :

a) “ॐ द्रीं महाभये प्रें स्वाहा” ।
b) “ॐ ह्रीं महाभये हुं फट् स्वाहा” ।
मानबास्थि की मुद्राएँ अगुलियों में धारण कर श्मशान में उक्त मंत्र का एक लाख जप करें । महाभया यक्षिणी प्रसन्न होकर ऐसा रसायन प्रदान करेंगी, जिसे खाने से अपार बल मिलेगा । सदा युबाबस्था ही रहेगी ।

11. Mahendri Yakshini Mantra :

a)“ॐ ह्रीं माहेन्द्री मंत्र सिद्धि कुरु कुरु कुलु कुलु हंस: सोहं स्वाहा” ।
b) “ॐ माहेन्द्री कुलु कुलु हंस: स्वाहा”।
इंद्र धनुष के दिखाई देने पर निर्गुण्डी या तुलसी बृक्ष के नीचे बैठकर उक्त मंत्र का एक लाख जप करें । माहेन्द्री यक्षिणी प्रसन्न होकर सिद्धि देगी ।

12. Shankini Yakshini Mantra :

a) “ॐ ह्रीं शंखधारिणी शंखधारणे द्रां द्रीं क्लीं श्रीं स्वाहा” ।
b) “ॐ शंखधारिणी शंखभरने ह्रां ह्रीं क्लीं क्लीं श्रीं: स्वाहा” ।
सूर्योदय होने पर शंखमाला में उक्त मंत्र का दश सहस्र जप करें । घृत युक्त कनेर की समिधा से दशांश हबन कर । प्रसन्न होकर शंखिनी यक्षिणी मनोकामना पूर्ण करेगी ।

13. Shamshaana Yakshini Mantra :

a) “ॐ द्रां द्रीं श्मशान बासिनी स्वाहा” ।
b) “ॐ हूँ ह्रीं स्फुं श्मशानबासिनि श्मशाने स्वाहा” ।
श्मशान में नग्न होकर उक्त मंत्र का चार लाख जप करें । प्रसन्न होकर देबी अंजन प्रदान करेंगी । जिसे लगाने से अदृश्य हो सकेंगे और पृथ्वी में गड़ी निधि को देख सकेंगे । सभी बिघ्न दूर होंगे ।

14. Bata Yakshini Mantra :

मंत्र : “ॐ श्रीं द्रीं बटबासिनि यक्षकुल प्रसूते बटयक्षिणी एहोहि स्वाहा” ।
तिराहे पर स्थित बट बृक्ष के नीचे रात्रि में मों होकर उक्त मंत्र का तीन लाख जप करें । प्रसन्न होने पर बट यक्षिणी देबी बस्त्रा अलंकार, दिव्य रसों की सिद्धि, रसायन एबं दिव्य अंजन प्रदान करेंगी ।

15. Madan Mekhla Yakshini Mantra :

a) “ॐ द्रीं हुं मदन मेखलायै, मदन बिडम्बनायै नम: स्वाहा” ।
b) “ॐ क्रौं मदनमेखले नम: स्वाहा” ।
चौदह दिन तक एक लाख जप करें । मदन मेखला प्रसन्न होकर सिद्ध अंजन प्रदान करेंगी ।

16. Chandri Yakshini Mantra :

a) “ॐ ह्रीं चन्द्रिके हंस: स्वाहा” ।
b) “ह्रीं चन्द्रिके हंस: क्लीं स्वाहा” ।
कृष्ण प्रतिपदा से पूर्णिमा तक जप करें । देबी प्रसन्न होकर साधक को अभीष्ट प्रदान करती है ।

17. Bikala Yakshini Mantra :

a) “ॐ बिकले ऐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वाहा” ।
b) “ॐ बिकले ऐ ह्रीं श्रीं क्लैं स्वाहा” ।
पर्बत की निम्न गुफा में बैठकर ३ मास तक उक्त मंत्र का तीन लाख जप करें । बिकला यक्षिणी प्रसन्न होकर मनोकामना पूर्ण करेगी ।

18. Lakshmi Yakshini Mantra 

a) “ॐ ऐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी कमलधारिणी हंस: सोहं स्वाहा” ।
b) “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्मै नम:” ।
बटबृक्ष के पास या अपने घर में बैठकर उक्त मंत्र का एक लाख जप करें । घृत मिश्रित लाल कनेर एबं दूर्बा से दशांश हबन करे । लक्ष्मी यक्षिणी प्रसन्न होकर रस, रसायन एबं दिव्य भण्डार प्रदान करेंगी ।

19. Malini Yakshini Mantra :

मंत्र : “ॐ द्रीं ॐ नमो मालिनि रित्र एहोहि सुन्दरी हंस हंसि समीहं में सडंगमय स्वाहा” ।
चौराहे पर बैठकर उक्त मंत्र का एक लाख जप करें । मालिनी यक्षिणी प्रसन्न होकर दिव्य खड्ग प्रदान करेगी, जिसके प्रभाब से समस्त शत्रुओं का नाश होगा और निष्कंटक बैभब मिलेगा ।

20. Shatpatrika Yakshini Mantra

a) “ॐ द्रीं शतपत्रिके द्रीं द्रीं श्रीं स्वाहा” ।
b) “ॐ ह्रां शतपत्रिके ह्रां ह्रीं श्रीं स्वाहा ।”
कमल पुष्पों के समूह के मध्य बैठकर मौन होकर उक्त मंत्र का एक लाख जप करें । घृत युक्त दुग्ध से हबन करें । शत पत्रिका यक्षिणी प्रसन्न होकर पृथ्वी की निधि प्रदान करेंगी ।

21. Sulochana Yakshini :- 

मंत्र : “ॐ द्रीं क्लीं सुलोचना सिद्धि में देहि देहि स्वाहा” ।
नदी तट पर बैठकर उक्त मंत्र का तीन लाख जप करें । घृत से दशांश हबन करे । देबी प्रसन्न होकर सिद्ध पादुका प्रदान करेंगी, जिससे इच्छानुसार आकाश में मन एबं पबन के बेग से गमनागमन कर सकेंगे ।

22.Shobhna Yakshini :

मंत्र : “ॐ द्रीं अशोक पल्लब कर तले शोभने श्रीं क्ष: स्वाहा” ।
रक्त बस्त्र पहन कर चौदह दिनों तक उक्त मंत्र का जप करें । भोग दायिनी शोभना प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगी ।

23. Kapalini Yakshini :

a) “ॐ ऐ कपालिनी द्रां द्रीं क्लां क्लीं क्लूं कलैं क्लौं क्ल: हंस: सोहं सकलह्रीं फट् स्वाहा” ।
b) “ॐ ऐ कपालिनी ह्रां ह्रीं क्लीं क्लैं क्लौं हसकहल ह्रीं फट् स्वाहा” ।
खीर का भोजन करें और मौन होकर उक्त मंत्र का दो लाख जप करें । प्रसन्न होकर देबी एक कपाल देगी, जिससे आकाश गमन की शक्ति मिलेगी । कपालिनी देबी दूर से ही दर्शन देगी ।

24. Bishalini Yakshini :

a) “ॐ बर यक्षिणी बर यक्ष बिशालिनी आगच्छ आगच्छ प्रियं में भबतु हैमे भब स्वाहा” ।
b) “ॐ बिरूपाक्ष बिलासिनी आगछागछ ह्रीं प्रिया में भब प्रिया में भब क्लैं स्वाहा” ।
नदी तट पर उक्त मंत्र का ५० हजार जप करें । घृत मिश्रित गुग्गुल से दशांश हबन करें । देबी प्रसन्न होकर सौभाग्य प्रदान करेंगी ।

25. Nati Yakshini :

मंत्र : “ॐ द्रीं (ह्रीं) नटि, महानटि रूपबति द्रीं स्वाहा” ।
अशोक बृक्ष के नीचे चन्दन से मण्डल बनाए । धूप देकर उसमें देबी की पूजा करें । एक महीने तक उक्त मंत्र का जप एकांत में करें । केबल रात्रि में भोजन करें । नटी देबी प्रसन्न होकर रस, अंजन तथा निधि भण्डार प्रदान करेंगी ।

26. Kaameswari Yakshini

मंत्र :“ॐ ह्रीं आगच्छ कामेश्वरी स्वाहा” ।
आसन पर बैठकर पबित्र स्थान में, तीनों संध्याओं में उक्त मंत्र का तीन हजार जप एक मास तक करें । पुष्प, धूप, नैबेद्य और घृत दीपकों के द्वारा रात्रि में देबी की पूजा करें । मंत्र का जप करें । अर्ध रात्रि में देबी आकर रस, रसायन, दिव्य बस्त्र एबं आभूषण प्रदान करेंगी ।

27. Swarn- Rekha Yakshini :

मंत्र : “ॐ बर्कर्शाल्मले सुवर्णरेखा स्वाहा” ।
कृष्णप्रतिप्रदा से एकलिंग की पूजा करे । मासांत में रात्रि को बिशेष नैबेद्य चढ़ायें । देबी साधक को धन, बस्त्रादि देती है ।

28. Sura-Sundari Yakshini :

मंत्र : “ॐ आगच्छ सुरसुन्दरी स्वाहा” ।
ध्यान ब बिधि सुरसुन्दरी योगिनी के समान है ।

29. Manohara Yakshini :

मंत्र :“ॐ ह्रीं सर्बकामदे मनोहरे स्वाहा” ।
नदी तट पर रक्त चन्दन से मण्डल बनाएं । देबी का पूजा कर मंत्र का १० सहस्र जप २१ दिनों तक करें । प्रसन्न होकर देबी आधी रात में सहस्र दीनार प्रदान करेंगी, जिन्हें प्रतिदिन व्यय कर देना चाहिए । ब्यय न करने पर देबी दीनार पुन: नहीं देगी ।

30. Pramoda Yakshini :

मंत्र :“ॐ ह्रीं प्रमादायै स्वाहा” ।
अर्ध रात्रि में उक्त मंत्र का सहस्र जप एक मास तक नित्य करें । देबी प्रसन्न होकर निधि का दर्शन करा देगी ।

31. Anuragini Yakshini

मंत्र : “ॐ ह्रीं अनुरागिणी मैथुन प्रिये यक्ष कुल प्रसूते स्वाहा” ।
कुंकुम से भोजपत्र पर देबी का चित्र बनाकर धूप, दीप द्वारा प्रतिपदा तिथि से उसका पूजन आरम्भ करे । पूजा करके प्रतिदिन तीन सन्ध्याओं में उक्त मंत्र का सहस्रा जप एक मास तक करें । प्रसन्न होकर देबी अर्धरात्रि में आकर नित्य सहस्र दीनार प्रदान करेगी ।

32. Nakhkoshika Yakshini :

a) “ॐ ह्रीं नख कोशिके स्वाहा” ।
b) “ॐ नख कोशिके कनकाबति स्वाहा” ।
पक्षी गृह (घोंसले) में देबी की पूजा नख और बालों से करे । २१ दिनों तक रात्रि में पूजा कर उक्त मंत्र का जप करें । देबी प्रसन्न होकर आधी रात में आकर मनोकामना पूर्ण करती है ।

33. Bhamini Yakshini :

मंत्र : “ॐ ह्रीं यक्षिणी भामिनि रतिप्रिये स्वाहा” ।
तीन दिन तक निराहार रहते हुए चन्द्र या सूर्य ग्रहण के समय स्पर्श से मोक्ष तक देबी का ध्यान करे, और उक्त मंत्र का जप करें । प्रसन्न होकर देबी सिद्ध अंजन प्रदान करेगी, जिससे अंज्जित नेत्रोबाला अदृश्य हो सकेगा और बह पृथ्वी में छिपी निधि को देख सकेगा ।

34. Padmini Yakshini

मंत्र : “ॐ ह्रीं आगच्छ पद्मिनी बल्ल्भे स्वाहा” ।
एकलिंग या गृह स्थान में मण्डप बनाकर, कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से पूजन करें । मासांत में रात्रि को बिशेष भोग चढ़ाबे । देबि साधक को धन, बस्त्र देती है ।

35. Swarnawati Yakshini :

a) “ॐ ह्रीं आगच्छ स्वर्णाबती स्वाहा” ।
b) “ॐ आगच्छ कनकाबती स्वाहा” ।
बिल्व बृक्ष या बट बृक्ष के नीचे लाल चन्दन से मण्डल बनाए । यक्षिणी की पूजा कर शशक माँस, घृत और खीर कर नैबेद्य प्रदान करें । प्रतिदिन उक्त मंत्र का एक हजार जप सात दिनों तक करें । स्वर्णाबती प्रसन्न होकर सिद्ध अंजन प्रदान करेंगी, जिससे सारी अदृश्य निधियां देख सकेंगे ।

36. Dhanada Ratipriya Yakshini

मंत्र : “ॐ ह्रीं रतिप्रिया स्वाहा” ।
शंख चूर्ण से पुते हुए बस्त्र पर कमल धारिणी, गौरवर्ण और सर्बालंकार युक्ता दिव्य देबी का चित्र बनाए । चमेली के पुष्पों से पूजन करे और एक सप्ताह तक पूजा करते हुए नित्य उक्त मंत्र का सहस्र जप करे । देबी प्रसन्न होकर प्रतिदिन अर्धरात्रि में आकर २५ दीनार प्रदान करेंगी ।

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तंत्राचार्य प्रदीप कुमार – 9438741641 (Call /Whatsapp)
दूसरों तथा स्वयं की सुख शान्ति चाहने बालों के लिए ही यह दिया गया है । इसमें दिए गये यंत्र, मंत्र तथा तांत्रिक साधनों को पूर्ण श्रद्धा तथा बिश्वास के साथ प्रयोग करके आप अपार धन सम्पति, पुत्र पौत्रादि, स्वास्थ्य सुख तथा नाना प्रकार के लाभ प्राप्त करके अपने जीबन को सुखी और मंगलमय बना सकते हैं ।

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