रिक्त्या भैरु की साबर मंत्र साधना :
रिक्त्या बीर कहाँ चले बैरी के घर चले बैरी को मारने लगे।
बैरी की छाती पर बैठने लगे, मूड फोर गूदा खाने लगे। छाती
फोड कलेजा खाने लगे। जाभन का धुबां आकाश को लगन
लगे।जार खोर मट्टी करन लगे रगतिया बीर दुश्मन को मार के
आबेगा तो तेरे को एक काला बच्चा दे देऊंगा।फिरके जा रे
रकतिया मसान दुश्मन के अण्डा पे बैठन लगे। चारों कोने पे
बैठने लगे। फिरके आबे तो तेरे को सिन्दुर की पुरी देऊंगा।।
।।रिक्त्या भैरु साबर मंत्र साधना बिधि।।
इस साधना को नरक चौदस की रात्रि में 12 बजे श्मशान भूमि पर बैठ कर करें । साधक इस साधना से पूर्ब किसी योग्य गुरू से दीख्या प्राप्त करे । इसके उपरान्त ही इस साधना को करने की कोशिश करे, लेकिन फिर भी अपने गुरू की आज्ञा लेकर ही करनी चाहिये अन्यथा न करे यह उग्र प्रयोग है यह एक तांत्रिक साधना है जो बाममार्ग में, बराटी बिद्या के नाम से एबं अघोरी साधक इसकी सिद्ध करते हैं यह साधना शीघ्र अपना चमत्कार दिखाती है । इन प्रयोगों में जरासी त्रुटि जान लेबा साबित होती है, इन साधना में गुरू का साथ में रहना अनिबार्य हैं ।
यह बीर बाबन बीरों के अन्दर गिना जाता है इन में प्रमुख सात बीर उग्र ब भयानक माने जाते हैं । 1. मसाणिया बीर, 2. बाबरिया बीर, 3. अगनिया बीर, 4. नरसिंह बीर, 5. रगतिया बीर, 6. पंचमुखी हनुमान बीर, 7. काला कलुबा बीर । ऐसे तो सभी शक्तिशाली और भयानक हैं लेकिन तंत्र मंत्र सिद्धियों में आज भी आदिबासी साधक इन सातों बीरों को अधिक मानते हैं । ये घण्टों के कार्य मिनटों में पूर्ण करने बाले माने जाते हैं । अब में रगतिया भैरू की साधना बिधि दे रहा हुं-
इस प्रकार रिक्त्या भैरु साधना में साधक कालेबस्त्र धारण कर ले या निर्बस्त्र होकर कर की जाती है । मिट्टी के दीपक में सरसों का तेल भर कर चौमुखा दीपक जलाबें साधक अपना मुख अग्नि कोण में रखे और किसी पतल में बकरे की कलेजी और देशी मदिरा रखे, एक निम्बू, इत्र, पानी का पात्र, लोहबान, कपूर, बतीसा, राई, काले तेल, रक्त, चन्दन, एक सूखा नारियल, गूगल, सिन्दुर। इस सामग्री से रगतिया भैरू की पूजा करें, नारियल को जलाकर, उसके ऊपर इस सभी सामग्री से होम करें, केबल पानी का पात्र और इत्र को छोडकर सभी होमें । इसके बाद अपने चारों और रख्या घेरा पानी या चाकू से खींच लें और इत्र, मांस मदिरा और निम्बू को पास पडा रहने दें फिर काले उडदों या हड्डियों की माला से रिक्त्या भैरु मंत्र की गिनती करते हुये पांच माला मंत्र जपे इसी प्रकार 31 दिन करें । काली चोदस से लेकर आती अमाबस्या तक करें तो रिक्त्या भैरु बीर की प्रत्यख्य सिद्धि प्राप्त होती है दर्शन के समय बकरे की बली एबं मदिरा, कुलेर, बाकला अर्पण करे तो बीर साधक गुरू की देखरेख में ही करें अन्यथा साधक स्वयं की जिम्मेदार होगा, हमारी और से मना है, नहीं करें ।
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जय माँ कामाख्या