शत्रु विनाशक अघोर मंत्र प्रयोग :
शत्रु विनाशक अघोर मंत्र : जब प्राण संकट में हो शत्रु बलवान हो…आजीविका नष्ट कर रहा हो । कोई उपाय न रहा हो तब ही ये शत्रु विनाशक अघोर मंत्र करे । कुतुहल और जिज्ञासा से कभी न करे ।
शनिवार के दिन व्यक्ति की मौत हुई हो और उसी दिन उसे जलाया हो उसी दिन अर्ध रात्रि में मसान में जाये । साथ में गुड और शराब ले जाये । चिता को प्रणाम कर के गुड को चिता में डाले । शराब से जलते कोयले को बुजाये । उन कोयले का चुरा बना के हरताल मिला के स्याही बनाये । उस स्याही से नीम की कलम से मसान में मुर्दे को नहलाया हो उस घड़े के ठीकरे पर यंत्र लिखे जेसे..
पुरुष की आकृति पे माँ बगला का विलोम मंत्र लिखे दाये पैर में हा..बाये पैर में स्वा ..सर्व दुष्तानाम विलोम इस प्रकार लिखे की नाभि और हृदय में वर्तुल बन जाये । ब्रह्म रन्ध में ह्रीम को ल्हीं लिखे । प्रणव को नही लिखना । ह्रदय प्रदेश पे शत्रु का नाम लिखकर चारो और ह्रीं लिखे । मसान के कपड़े से बत्ती बना के सरसों का दीप जलाये । उस को उडद के दानो के उपर रखे । पीताम्बर पहन कर पिला तिलक लगा के हल्दी से दीपक की पूजा करे । जेसे की दीपक की ज्योत में माँ बगला का ध्यान कर के विलोम मंत्र का एक हजार जप करे । मद्य मांस का भोग लगाये ।यदि दीपक की ज्योत सीधी जाय तो कार्य सिद्धि । टेढ़ी मेढी या तेल में बुलबुले उठे तो कार्य में विलंब ।
शत्रु विनाशक अघोर मंत्र : ।। हूँ फट हावस् ल्हिं यशनावी घविबु यलकी व्होजी यभतस् दंप खं मु चा वा नाटाषदु वरस खीमुलागब ल्ही फट हुं।।
{{{ शत्रु का संपूर्ण विनाश का विधान है लेकिन यहा सार्वजनिक करना उचित नही है ।}}}
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जय माँ कामाख्या