सुगन्धा अप्सरा साधना कैसे करें ?

Sugandha Apsara Sadhna Kaise Kare ?

साधकों से निबेदन है कि शुध ह्रूदय ब सात्विक मनोदशा के साथ ही इस साधना (Sugandha Apsara Sadhna) का आरम्भ करें । सुगन्धा अप्सरा साधना पूर्ण बिधि से ही करें, बिधि इस प्रकार है-
 
चांदनी रात के किसी भी शनिबार को रात्रि ११ बजे से इस सुगन्धा अप्सरा साधना की शुरुआत करें । रुद्राख्य या चन्दन की एक माला लें, सुगन्धा अप्सरा यंत्र, ५० ग्राम सुगन्ध ,५ गोरख मुण्डी, ५० ग्राम सफेद राई, कस्तूरी इत्र, काला कपडा ये सामग्री ले लें ।
काले कपडे पर सुगन्ध, गोरखमुण्डी, राई और यंत्र रखकर उस पर इत्र छिडक कर पोटली बना लें । पोटली बनाने के पश्चात् रात्रि १० के पश्चात् इस पोटली को मदार या आक के बृख्य के नीचे छोड आयें । परंन्तु इससे पूर्ब गुरू आज्ञा से साधक को अपना सुरख्या कबच तैयार कर लेना चाहिए । पोटली छोडने के पश्चात् पीछे मुडकर न देखें, घर आकर स्वछ स्थान पर बैठकर अपने बस्त्रों पर कस्तूरी का इत्र छिडक लें । इसके बाद पांच अगरबती जलाकर मुख उत्तर की और करके बैठ जायें । अब पहले एक माला गुरु मंत्र का जाप करें, उसके बाद अप्सरा मंत्र की ३१ माला जप करें । यह सब एक रात्रि में ही करना है । आसन भी स्वछ एबं शुध हो यह ध्यान रहें ।
अप्सरा मंत्र इस प्रकार है : “ॐ श्रीं ह्रीं सुगन्धा आगछगछ स्वाहा ।।”
 
इस मंत्र का ३१०० बार निरन्तर जप करना है, इसके पश्चात् साधक के साधना कख्य में प्रकाश फैल जायेगा और कानों में मधुर ध्वनि सुनाई देगी । तब साधक को मनोबांछित बर या कार्य बताना है, जो अप्सरा अबश्य पूर्ण करेगी ।

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जय माँ कामाख्या

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