ह्रदय परिबर्तित करने का तंत्र

Hriday Parivartit Karne Ka Tantra :

(१)कौए के दिल को निकालकर उस मार्ग में गाड दें जँहा से शत्रु का आना जाना बना रहता है। रबिबार के दिन काले घोड़े और बकरे के बाल एबं काले मुर्गे तथा कौए के पंख लेकर सबको जलाकर राख को खरल करके शीशी में रखें ।इसका तिलक मस्तक पर लगाकर जाने से शत्रु मुकाबाला करने की हिम्मत नहीं करेगा ।

२. कौए की हड्डी की सात अंगुल की कील बनाकर उसे निम्नलिखित ह्रदय परिबर्तित मंत्र (Hriday Parivartit Mantra) से अभिमंत्रित करें ।
‘ॐ जां जां जबीं जिये जूंठ: ठ: स्वाहा ।’ अभिमंत्रित कील को शत्रु के घर में गाढ दें तो बह कष्ट पाता है ।

३. कौए के दांई और के पंख तथा गीदड़ की पूछ के बाल इन दोनों बस्तुओं को रबिबार के दिन लाकर गूगल की धूप दें । फिर इन बस्तुओं को शत्रु के बिस्तर के नीचे दबाकर रख दें तो बह पागल हो जायेगा।

४. मंगलबार के दिन कौए का घौसला उतार लायें । उसे जलाकर राख कर लें । उस राख को जिस शत्रु के मस्तक पर डाल दी जायेगी, उनमें शत्रुता हो जायेगी ।

५. रबिबार के दिन उल्लू और कौआ इन दोनों का थोड़ा थोड़ा रक्त निकाल लें, प्रेमियों के बस्त्र का एक एक टुकुडा ,एक कौबी को पकड़कर उसकी पूंछ के पंख नोंच लें । फिर उन्हें सफ़ेद चन्दन का चुरा तथा गूगल की धूनी देकर राख बना लें । तदुपरांत उस राख को खरल में डालकर मोतियां के फूलों के पानी के साथ घुटाई करके चूर्ण बनाकर शीशी में भर लें । जो स्त्री प्रत्येक बृहस्पतिबार के दिन उस शीशी में से थोडा सा चूर्ण निकालकर अपने मस्तक पर बिंदी लगायेगी तो ह्रदय परिबर्तित (Hriday Parivartit) होकर उसका पति उससे अत्यधिक प्रेम करने लगेगा ।

६. मंगलबार के दिन कौए की जीभ, रबिबार को श्मशान की राख लाकर, नाखूनों की राख, स्त्री के बाँये पांब की मिट्टी इन सबको मिलाकर पीसकर चूर्ण कर लें ।उस चूर्ण को आबश्यकता के समय अपनी प्रेमिका के मस्तक पर डाल दें तो , उसका ह्रदय परिवर्तित (Hriday Parivartit)  होकर वो आपके काबू में आजायेगा।

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