नवांश कुंडली और अवैध संबंध

अवैध संबंध : ज्योतिष एक अथाह सागर है जो जीवन के हर पहलू पर रोशनी डालता है । पाराशर ज्योतिष के अनुसार कुंडली देखते समय जन्म कुंडली, वर्ग कुंडली, दशा, नक्षत्र और गोचर का विश्लेषण जरूरी होता है ।
जैसा की सप्तम भाव, सप्तम भाव का स्वामी और शुक्र से वैवाहिक जीवन का विचार किया जाता है । इन भावों के अलावा द्वादश भाव कामुक संबंधों के लिए, दूसरा भाव कुटुंब के लिए, चौथा भाव परिवार के लिए भी देखे जाते है । यदि इन भावों का संबंध या इनके स्वामियों का संबंध मंगल, शनि, राहु एवं केतु से हो तो वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं होता है ।
यदि शुक्र मेष, सिंह, धनु, वृश्चिक में हो या नीच का हो और मंगल राहु केतु या शनि के साथ हो तो यह व्यक्ति में अत्यधिक सेक्स इच्छा दर्शाते है । कई बार व्यक्ति विवाह की मर्यादा को तोड़कर विवाह के बाद बाहर ही संबंध बनाता है निश्चय ही यह अच्छी बात नहीं है परंतु ऐसे कौन से योग है जिसके कारण व्यक्ति भी इस तरह की इच्छा उत्पन्न होती है ।
विवाह से बाहर शारीरिक संबंध बनाने के लिए पहले तो व्यक्ति बौद्धिक रूप से तैयार होना चाहिए उसकी बुद्धि ऐसी होनी चाहिए जो उसको इस ओर धकेल रही हो । पंचम भाव और चंद्रमा दर्शाता है कि व्यक्ति की सोच क्या है तो यदि आपकी कुंडली में पंचम भाव पर मंगल, शनि, राहु का प्रभाव है और चंद्रमा भी पीड़ित है तो ऐसी अवैध संबंध सोच उत्पन्न होती है । यही अवैध संबंध योग यदि नवांश में बन जाए तो वह इस तरह की सोच पर मोहर लगा देते हैं ।

अब बात करते हैं ऐसे कुछ अवैध संबंध योग की बारे में …

. नवांश कुंडली में शनि शुक्र की राशि में और शुक्र शनि की राशि में हो तो महिला की शारीरिक भूख अधिक होती है ।
. नवांश कुंडली में शुक्र मंगल की राशि में हो और मंगल शुक्र की राशि में तो व्यक्ति अपने जीवनसाथी के अलावा बाहर अवैध संबंध बनाने में नहीं हिचकिचाते है ।
. शुक्र मंगल आत्मकारक की नवांश राशि से बारहवें भाव में हो तो व्यक्ति अवैध संबंध रखता है ।
. केतु आत्मकारक की नवांश राशि से नवम भाव में हो तो वृद्धावस्था तक भी व्यक्ति पर पुरुष या पर स्त्री के साथ अवैध संबंध रखता है ।
. शुक्र सभी वर्गों में केवल मंगल या शनि की राशियों में हो तो व्यक्ति चरित्रहीन होता है ।
. नवांश कुंडली में चंद्रमा के दोनों ओर शनि और मंगल हो तो पति-पत्नी दोनों ही अवैध संबंध करते हैं ।
. जन्म कुंडली का सप्तम का स्वामी नवांश कुंडली में बुद्ध की राशि में बैठा हो और बुध उसे देख ले तो आपका जीवन साथी द्विअर्थी बातें करते हैं और लोगों को रिझाने का काम करते हैं ।
जैसा की आप सबको भी ज्ञात होगा कि पंचम और सप्तम भाव से संतान प्राप्ति देखते हैं । यदि दोनों का संबंध छठे भाव से हो जाए तो व्यक्ति विशेष में प्रजनन शक्ति कम होती है । जातक अलंकार के अनुसार यदि शुक्र मंगल की राशियों में हो तो वह अपने जीवनसाथी को सेक्स संबंधों में खुश नहीं रख पाता है । इसी तरह यदि शनि शुक्र का योग दशम भाव में हो तो व्यक्ति में नपुंसकता के योग होते हैं । संकेत निधि के अनुसार यदि शुक्र चंद्रमा की युति नवम भाव में हो तो ऐसे जातक की पत्नी कुटिल होती है ।
कुंडली के चौथे भाव से व्यक्ति के चरित्र का पता लगाया जाता है और बार-बार सेक्स संबंधों में आपकी रुचि को दर्शाता है किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले ही इन दोनों भावों का गहन विश्लेषण आवश्यक है । आप सब से अनुरोध है कि यह नियम सीधे कुंडलियों पर ना लगाएं अपितु पूरी कुंडली का विश्लेषण करने के बाद ही इन लोगों को जांचे ।
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Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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