जानिए ,जन्मकुंडली में सरस्वती योग एवं फलादेश

एक श्रेष्ठ और महान लेखक बनने के लिए लेखक में अच्छी एकाग्रता, अद्भुत स्मरण शक्ति, अतुलनीय कल्पना शक्ति और संवेदनशीलता होना आवश्यक है । हालांकि अच्छे लेखन करने वाले कुछ लोग प्रसिद्धि के शीर्ष पर होते हैं तो कुछ गुमनामी के अंधेरे में ..आखिर क्यों ? आपका लेखन भी अद्भुत अविस्मरणीय बन सकता है, आप भी महान लेखक बन सकते हैं अगर आपकी जन्मकुंडली में कुछ विशेष योग हो –
1- ज्योतिष में लेखन का मुख्य ग्रह बुध माना जाता है । साथ ही बुध वाणी ,बुद्धि, तर्क शक्ति का कारक भी होता है । अत: बुध का श्रेष्ठ होना अच्छा लेखक के लिए आवश्यक है । लेखन से सम्बन्धित अन्य महत्वपूर्ण ग्रह चन्द्र और गुरु होते हैं क्योकि चन्द्र मन, भावुकता, संवेदना व कल्पना का कारक होता है और गुरु ज्ञान, कौशल, स्वस्थ मेधा शक्ति का कारक होता है इसलिए अच्छे लेखन के लिए इन ग्रह का सहयोग विशेष योग प्रदान करता है ।
2- बुध ग्रह जन्मकुंडली में तीसरे भाव से जुड़ा होने से लेखन का विशेष योग बनता है क्योंकि बुध लेखन का और तीसरा भाव हाथ का भाव होने से अच्छा लेखन कार्य किया जाता है । तीसरे भाव से पत्रकारिता, संपादन का कार्य भी किया जाता है । इसके अलावा बुध ग्रह यदि शुभ स्थिति में 1, 3, 4, 5, 7, 8, 9 भावों में स्थित हो, तो जातक सफल लेखक बन सकता है क्योंकि ये सभी भाव किसी न किसी रूप से शिक्षा, बुद्धि, ज्ञान, सफलता, व्यवसाय एवं भाग्य से संबंधित हैं । यदि बुध , गुरु, या शुक्र स्वग्रही या उच्च के हो तो लेखन के क्षेत्र में अच्छे परिणाम आते हैं ।
3- अनुभव में आया है कि मिथुन, कन्या, वृषभ, तुला, मकर और मीन लग्न के लोग लेखन कार्य में अवश्य हो सकते हैं । ज्यादातर बड़े लेखक इन्ही लग्नों में जन्मे हैं ।
4- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमेश यदि नवम् भाव में हो तो एक सफल लेखक बनने के लिए यह एक उत्तम ग्रहयोग है । जन्मकुंडली में यदि सरस्वती योग योग बन जाए तो आप उच्चकोटि के लेखक हो सकते हैं । सरस्वती योग, शारदा योग, कलानिधि योग एक ही होते हैं । इनके नाम अलग अलग हैं जब कुंडली में केन्द्र, त्रिकोण और द्वितीय भाव में एक साथ या अलग-अलग बुध , शुक्र और गुरु ग्रह बैठते हैं तो यह महान योग होता है ।
5-जन्मकुंडली में सरस्वती योग बहुत प्रभाव डालती है । अगर आपकी कुंडली में बुध-गुरु, बुध-शुक्र, गुरु-शुक्र या बुध-चन्द्र की युति होती है या इस ग्रहों में आपसी केंद्रीय योग बने हुए हैं तो श्रेष्ठ लेखक के विशेष योग बनते हैं ।
6- अनुभव में देखने में आया है जिन जातक की कुंडली में गजकेसरी, बुधादित्य, हंस, भद्र महापुरुष योग होते हैं वे लेखक आसानी से प्रसिद्ध हो जाते हैं । गजकेसरी योग- यदि कुंडली में चन्द्रमा से गुरु केंद्र में स्थित हो तो गजकेसरी योग बनता है । शास्त्रों में गजकेसरी योग के निम्नफल बताए गए हैं ।
गजकेसरीसंजातस्तेजस्वी धनधान्य
मेधावी गुणसम्पन्नो राज्यप्राप्तिकरो भवेत् ।।
अर्थात गजकेसरी योग में उत्पन्न जातक तेजस्वी, धनधान्य से युक्त, मेधावी, गुणी और राजप्रिय होता है ।
सरस्वती योग- जब कुंडली में बुध, गुरु, शुक्र एक साथ या अलग-अलग केन्द्र त्रिकोण या द्वितीय भाव में बैठते हैं तो सरस्वती योग बनता है ।
शास्त्र कहता है-
धीमान नाटकगद्यपद्यगणना-अलंकार शास्त्रेयष्वयं।
निष्णात: कविताप्रबंधनरचनाशास्त्राय पारंगत:।।
कीर्त्याकान्त जगत त्रयोऽतिधनिको दारात्मजैविन्त:।
स्यात सारस्वतयोगजो नृपवरै : संपूजितो भाग्यवान।।
अर्थात्- सरस्वती योग में जन्मे जातक बुद्धिमान, गद्य, पद्य, नाटक, अलंकार शास्त्र में कुशल ,काव्य आदि का रचैयता शास्त्रों के अर्थ में पारंगत, जगत प्रसिद्ध, बहुधनी, राजाओं द्वारा भी सम्मानित एवं भाग्यवान होता है ।
ये कुछ सामान्य जानकारी है जिन्हें आप अपनी जन्मकुंडली में देख कर महान लेखक बन सकते हैं ।
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Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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