Maraan Tantra Prayog Kaise Kare ?

“मारण तंत्र प्रयोग (Maraan Tantra Prayog” को तंत्र मार्ग में अत्यन्त साबधानी, बिबेक और सूझ-बूझ से तभी करने का बिधान है जब अपने प्राणों को खतरा हो । अन्यथा यह मारण तंत्र प्रयोग (Maraan Tantra Prayog) नहीं करना चाहिए । कभी भी द्वेशो या रंजिश से किसी पर मारण प्रयोग नहीं करना चाहिए । अकसर देखा गया है कि असाबधानीबश या गलत रास्ता अपनाने पर अथबा निर्दोष ब्यक्ति पर मारण प्रयोगकर्ता स्वयं ही नष्ट हो जाता है ।
 
अत: साबधानी, बिबेक, सूझ्बूझ और नैतिकता की आबश्यकता है । सैनिक इसका प्रयोग करें । दो मारण प्रयोग यहाँ देते है-
 
(क) “शत्रुनाशक” यंत्र बनाकर उसके बीच में शत्रु का नाम लिखे जिससे प्राणों का भय हो या जो बास्तब में आपकी हत्या करने बाला हो । सेना में सैनिक ताबीज में इस यंत्र को रखें । बिजय में सहायक होगा ।
 
यंत्र को सिद्ध करने का मंत्र यह है- ॐ ऐ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।ऊं ग्लौं हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।
 
(ख) मृत्यु आपके सामने खडी है, शत्रु आपको मारना चाहता है । आप बचाब करना चाहते हैं । इस यंत्र बनायें, साथ ही निम्नलिखित मंत्र का पाठ करें ।
मंत्र में खाली स्थान है, उसमें शत्रु का नाम बोलें ।
 

मारण तंत्र (Maraan Tantra) इस प्रकार है-

मंत्र : “ॐ नम: काल संहाराय…….. हन हन फट् स्वाहा।”
 
यदि आप शत्रु को मार डालने के इछुक है तो नीम की चार अंगुल की लकडी लेकर उसी से शत्रु के सिर का बाल लपेटें, उस लकडी से शत्रु का नाम लिखें । श्मशान में जाकर उस लकडी को साबधानी से चिता की धूप देबें । तीन या सात रात तक ऐसा करने पर शत्रु का नाश होता है ।
 
पुन: स्मरण कराते हैं कि मारण प्रयोग युद्ध के मैदान में करें या डाकू आदि से रख्यार्थ प्राणों के संकट आने पर ।

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