बंधी हुई कोख खोलने का उपाय मंत्र (Bandhi Hui Kokh Kholne Ka Mantra) का प्रयोग कर कोई भी औलाद का सुख प्राप्त कर सकता है । सही कहते हैं लोग, दुनिया के सारे सुख एक तरफ और मातृत्व सुख एक तरफ ! कभी-कभी तो यह उचित समय आने पर आसानी से प्राप्त हो जाता है लेकिन तकलीफ तब होती है जब सब कुछ सही होते हुए भी कुछ स्त्रियों की कोख सुनी रह जाती है और उन्हें दुनिया विरान लगने लगती है । उन्हें लगता है कि उनकी कोख बंध सी गई है ।
उनकी इस वीराने को हटाने के लिए हम लेकर आए हैं बंधी हुई कोख खोलने का मंत्र उपाय (Bandhi Hui Kokh Kholne Ka Mantra Upay) , जिन्हें आजमाने से उनके जीवन में खुशाहाली आ सकती है । ये हैं–
१) काला तिल अल्प मात्रा में, कबूतर या मुर्गी का रक्त अथवा मांस, काला तिल का तेल, थोड़ी हींग एकत्रित कर ले । अब रक्त/मांस और तेल मिलाकर “ओम् क्रीं क्रीं क्रीं क्लीं फट् स्वाहा” मंत्र का जाप करते हुए उपयुक्त सामग्री से मालिश और स्नान करें । अब काला तिल में हींग मिलाकर शरीर के सारे छिद्रों पर लगाए । इसे सर एवं पेट पर लगाना एकदम भी ना भूलें । इस कोख खोलने का मंत्र (Bandhi Hui Kokh Kholne Ka Mantra) क्रिया को लगातार पाँच दिनों तक करना है । ऐसा होने से व्यक्ति बुरी उर्जा के बंधन से मुक्त हो जाता है और उसकी बंधी हुई कोख खुल जाती है । मंत्र जाप संख्या १०८ होनी चाहिए प्रतिदिन ।
इस कोख खोलने का मंत्र प्रयोग (Bandhi Hui Kokh Kholne Ka Mantra) को करने के लिए नवमी या दशहरा के दिन अथवा किसी अन्य शुभ मुहूर्त के दिन नीचे दिए गए मंत्र को सिद्ध कर ले । इसके लिए निश्चित दिन आसन बिछाकर पूर्ब की ओर मुखासीन होकर बैठ जाए । समय रात्रि के ९:०० बजे के बाद का रखें । अपने सामने हनुमान जी की तस्वीर रखे । तस्वीर का धूप और दीप से पूजन करें तथा लड्डू का भोग लगा दे और साथ में दिए गए मंत्र का १०८ बार जाप करें । इससे मंत्र की सिद्धि हो जाएगी ।
अब जब आपको इस मंत्र (Bandhi Hui Kokh Kholne Ka Mantra) का प्रयोग करना है तब अपने सामने संबंधित स्त्री को बैठा ले । हाथ में जल का गिलास रखें । इसे अभिमंत्रित करे इसी मंत्र द्वारा । इसके लिए सात बार मंत्र का पाठ करें । अब अभिमंत्रित जल स्त्री को पिला दे । एक लाल रंग का धागा ले ले और फिर से २१ बार मंत्र पढ़ते हुए २१ गांठ लगाए । इससे यह धागा अभिमंत्रित हो जाएगा । अब इस धागे को स्त्री के कमर में बधवा दे ।
Bandhi hui Kokh kholne Ka Mantra :
मंत्र – “ॐ नमो नील नील महानील दृष्टि देख कोथ खोल फले फूले बेल बढ़े चतुराई चले अमुक ( संबंधित स्त्री का नाम) के पेड़ के फल फूल की जो हानि हो तो राजा राम की दुहाई जती हनुमान की दुहाई शब्द सांचा पिंड काचा फुरे मंत्र ईश्वर वाचा सत नाम आदेश गुरु का”।
२) सरसों तेल, बड़ के ११ पत्ते ले। ये पत्ते एकदम ताजे, बड़े और बिना कटे फटे होने चाहिए । अब इनको अच्छी तरह से धोकर साफ कर लें व पोंछकर पानी सुखा लें । इन पत्तों के दोनों तरफ सरसों तेल अच्छी तरह लगा दे । इसके पश्चात तवा गर्म करें और जिस प्रकार रोटी सेंकते हैं उस तरह इन पत्तों को दोनों तरफ से हल्का हल्का सेंके । अब संबंधित स्त्री के पेट के निचले हिस्से पर इनको सूती कपड़े से बांध दे । यह उपाय उसी समय किया जाए जब संबंधित स्त्री महावारी के दिनों में हो । तीन दिन तक लगातार इस क्रिया को रात के वक्त सोते समय करे । सवेरे उठकर इन पत्तों को हटा दे । भगवान ने चाहा तो आपकी मनवांछित इच्छा जरूर और जल्दी ही पूर्ण होगी ।
३) “ओम ह्वीं श्रीं क्लीं बगुलामुखी अमुक (जिसके लिए यह उपाय करना है उसका नाम) जरायुपिंड स्तंभय स्तंभय की लय की लय क्लीं श्रीं ह्वीं ओम् स्वाहा”। इस मंत्र का प्रयोग करने के लिए आप सबसे पहले हाथी के नाखून का पाउडर में काला तिल का पाउडर तथा अरंडी का तेल को मिलाकर दिए गए कोख खोलने का मंत्र (Bandhi Hui Kokh Kholne Ka Mantra) का 108 बार पाठ करते हुए आहुति की तैयारी करे । हवन में हाथी की लीद, संबंधित स्त्री के रज से भीगा हुआ कपड़ा तथा पलाश के बीज का व्यवहार करें । आहुति देते वक्त ढाक की लकड़ी से आहुति दे । इस वक्त उपरोक्त मंत्र का तीन हजार बार पाठ करते हुए हर बार आहुति दे । इस उपाय को आप शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी से लेकर कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के मध्य कभी भी कर सकते हैं ।
४) “देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि में तनयं कृष्ण त्वामाह शरणंगता” इस मंत्र का प्रयोग करने के लिए सबसे पहले आप भगवान कृष्ण के बालस्वरूप का एक चित्र अपने शयनकक्ष में लगा ले । प्रतिदिन सवेरे आसन पर बैठकर इस मंत्र का १०८ बार जाप करें । यह जाप लगातार एक वर्ष तक प्रतिदिन करें ।
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किसी स्त्री को अगर कन्या रत्न की प्राप्ति की चाह है तो वह उपाय अपना सकती है- चावल के माड़ में नींबू की जड़ को अच्छी तरह पीस ले और इसे स्त्री खा ले । अब एक घंटे के अंदर अपने पति के साथ अगर वह प्रयास करें तो भगवान उसके कामना को सम्पूर्ण करेंगे ऐसा विश्वास है ।
पुत्र की चाह रखने वाली स्त्री के लिए- रितु स्नान के एक दिन पूर्व शिवलिंगी के बेल की जड़ में तांबे का एक सिक्का और एक साबुत सुपारी डाल दे और निमंत्रण दे । दूसरे दिन सूर्योदय के पूर्व वहाँ जाकर उनसे प्रार्थना करें और कहे, “हे विश्वभृय इस पुत्र-विहिन की चिकित्सा आप स्वयं करें ।” अब घुटने में बैठकर इस जड़ को दोनों हाथों में लेकर सिर से स्पर्श करे और पाँच शिवलिंगी के फूल घर लेकर आ जाए । इनके बीज को गाय के दूध में मिलाकर पीस कर सेवन कर ले ।
तिल के तेल में थोड़ा सा हींग पाउडर डाल दे । इसका पाँच दिनों तक लगातार सुबह-सुबह सेवन करे ।
एक पीली कौड़ी खरीद के लाए और शुभ मुहूर्त देख कर स्त्री के कमर में बांध दें ।
लगभग २५ ग्राम करेले का रस पाँच दिनों तक लगातार खाली पेट ले ।
बरगद के पत्ते पर कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाए । इसके ऊपर चावल के कुछ दाने और एक सुपारी रख देवी मां के मंदिर में चढ़ा दें । सच्चे हृदय से अपने मन की मुराद को पुर्ण करने के लिए मां से प्रार्थना करें ।
दूध में उड़द डालकर पुराना गुड़ डालकर खीर बनाए । इसे कुछ दिन रोज लगातार खाए ।
घर से निकलते वक्त अगर काली गाय आपके सामने पड़े तो उससे प्रार्थना करते हुए उसके सर पर जरूर श्रद्धा पूर्वक हाथ फेरे ।
सवेरे सवेरे उठने के साथ ही बिना मुंह धोए एक सबूत लवंग को पानी के साथ निगल ले ।
संतान प्राप्ति की इच्छुक स्त्री को प्रतिदिन भिखारियों को गुड़ का दान देना चाहिए ।
सवेरे खाली पेट ५० ग्राम कच्ची हल्दी पीसकर खाएं ।
विवाहित स्त्रियां प्रतिदिन पीपल की परिक्रमा करें और दीपक जलाकर प्रार्थना करें ।
आटे में थोड़ा सा पानी डालकर इस की गोलियां बना ले । इसमें चना दाल (अल्प मात्रा में) और थोड़ा हल्दी पाउडर मिलाकर गाय को खिला दे । यह उपाय प्रति गुरूवार को करें।
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जय माँ कामाख्या